राजस्थान की बहू अमेरिका में कैंसर होने के जेनेटिक कारणों का पता लगाएंगी। इससे समय पर बीमारी की पहचान कर मरीज का ट्रिटमैंट शुरू किया जा सकेगा। पति के साथ मिलकर उन्होंने लैब की शुरु की है। इसमें अमेरिकी सरकार ने भी मदद करते हुए 3 करोड़ रुपए की मशीन दी है।
दरअसल, झुंझुनूं निवासी सौरभ शुक्ला और उनकी पत्नी शचि मित्तल शुक्ला को यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन ने पोस्ट डाक्टरेट व प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दी है। शचि को प्रोफेसर और सौरभ को रिसर्चर बनाया गया है। दोनों मिलकर कैंसर पर रिसर्च करेंगे। शचि की स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ में हुई थी। उन्होंने बताया कि 11वीं व 12वीं में औसत स्टूडेंट थी। इसके बाद भी 2014 में IIT दिल्ली से बायो इंजीनियरिंग की। वह अपने बैच की सिल्वर मेडलिस्ट रही हैं। इसके बाद कैंसर डिटेक्शन बाय न्यू इमेंजिंग टेक्नोलॉजी इंफ्रारेड पर पीएडी शुरू की। इस दौरान अपने रिसर्च में कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिले। गौरतलब है कि सौरभ शिक्षाविद् राधा बल्लभ शुक्ला के पौत्र हैं।
लैब के लिए अमेरिकी सरकार ने उनकी मदद की है। तीन करोड़ की एक मशीन भी दी है।
16 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए, पेटेंट फाइल
शचि ने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के कारण व उनकी रोकथाम के लिए बायोप्सी पर इंफ्रारेड से कई एक्सपरिमेंट किए। 2019 में उनके 16 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कैंसर बायोप्सी पर शचि ने रिसर्च कर यूनिवर्सिटी में पेटेंट फाइल किया है। इससे पहले वहां एक कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें अमेरिका के कई युवा साइंटिस्ट को बुलाया गया। इसमें रिसर्च पेपर के आधार पर शचि को पहला स्थान मिला। इसके बाद 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में प्रोफेसर पर नियुक्ति मिल गई।
शचि-सौरभ दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मिले। फिर दोनों ने नवंबर 2017 में लव मैरिज कर ली।
सौरभ आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग में B. Tech
पति-पत्नी मिलकर कैंसर जैसी बीमारी और इलाज पर रिसर्च करेंगे। सौरभ की प्राथमिक शिक्षा शहर के केशव आदर्श विद्या मंदिर में हुई। इसके बाद 2012 में आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग से बी टेक किया। दो साल इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी में जॉब की। रिसर्च में इंटरेस्ट के कारण वे यूएसए की इलिनॉइस यूनिवर्सिटी चले गए। वहां न्यूरो साइंस में प्रोटीन पर रिसर्च की। प्रोटीन के ब्रेन की फंग्क्शनिंग में पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाया।
शचि ने स्कॉलर के लिए अमेरिका में आवेदन किया था। यहीं से अमेरिका जाने का रास्ता खुला, अमेरिका में फैलोशिप ऑफर मिला, तब अमेरिका गई थी शचि। अमेरिका में पीएचडी की।
पीएचडी स्टूडेंट को करती हैं गाइड
शचि ने अमेरिका में एक लैब शुरू की है। अमेरिका सरकार ने उन्हें सहयोग किया है। इसके लिए करीब तीन करोड़ की एक मशीन भी दी है। शचि अपने पति सौरभ के साथ मिलकर कैंसर पर शोध कर रही है। शचि ने बताया कि वे अमेरिका में पीएचडी स्टूडेंट को गाइड करती हैं। अमेरिका सरकार ने उनके शोध पत्र को देखते हुए काफी मदद की है। शचि ने अमेरिका में ही पीएचडी की थी।