'9 दिन पहले तबाही आई थी, घर नहीं रहा। तब से कपड़े का ये टेंट ही हमारा घर है। मां बीमार हैं, लेकिन उनके लिए दवा नहीं है। कई रिश्तेदारों की मौत हो गई। रात में नींद खुल जाती है, बार-बार यही लगता है कि धरती हिल रही है। इस सर्दी में जिंदा रह पाना मुश्किल है। कुछ नहीं बचा। मैं जिन लोगों को जानता था, उनमें से अब ज्यादातर इस दुनिया में नहीं है। लोग दबे हुए थे, चिल्लाते रहे, कोई बचाने नहीं आया। उनकी आवाजें अब भी सुनाई देती हैं।’
ओमार ये बताते हुए आज भी कांपने लगते हैं, शायद वैसे ही जैसे 6 फरवरी को तुर्की और सीरिया में धरती कांप रही थी। ओमार बार-बार अपने दोनों हाथों से कांप रहे पैरों को रोकने की कोशिश करते हैं।
ओमार सेलिक तुर्किये के अंताकया शहर से 30 किमी दूर एक गांव में रहते हैं। अंताकया तुर्किये के हातेय प्रांत की राजधानी है। भूकंप के बाद यहां अब कुछ नहीं बचा, सारी इमारतें गिर गईं। ओमार का पूरा गांव और अंताकया के लाखों लोग अपने टूटे हुए घरों के सामने तंबू लगाकर जीने के लिए मजबूर हैं।
फोटो हातेय प्रांत के समंदाग शहर की है। यहां की आबादी 1.2 लाख है। सरकार ने भूकंप से बचे लोगों के लिए फुटबॉल स्टेडियम में टेंट कैंप बनाया है। इसी तरह के कैंप दूसरे शहरों में भी बनाए गए हैं।
ओमार ने जो देखा, और तुर्किये-सीरिया में जो घट रहा है उसकी कल्पना करना भी मुश्किल लगता है। दोनों देशों में भूकंप की वजह से अब तक 37 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। यूनाइडेट नेशंस का कहना है कि ये संख्या 50 हजार तक जा सकती है। करीब एक लाख लोग घायल हैं।
साढ़े 8 करोड़ की आबादी वाले तुर्किये में 2.6 करोड़ लोग भूकंप से सीधे प्रभावित हुए हैं। 10 प्रांत और कई बड़े शहर बर्बाद हो गए। तबाही इतनी बड़ी है कि रेस्क्यू फोर्सेज भी कम पड़ गई हैं। भारत समेत कई देशों के राहत दल यहां रेस्क्यू का काम कर रहे हैं।
भास्कर ने भूकंप से तबाह तुर्किये के शहरों में मौजूद 4 लोगों से बात की, जो वहां के हालात बता रहे हैं। इनमें एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार, एक PhD स्कॉलर और दो भूकंप से प्रभावित परिवार के सदस्य हैं:
पहला शहर- हातेय
मुझे उम्मीद की कोई कहानी नहीं मिली, ये दर्द और मौत की कहानी है: टोमास हूलिक, जर्नलिस्ट, स्लोवाकिया
‘मैं भूकंप के 24 घंटे के भीतर तुर्किये पहुंच गया था। मेरे देश की रेस्क्यू टीम भी साथ थी। हम पहले साउथ तुर्किये के अडाना शहर पहुंचे। यहां से हातेय गए। ये जगह पूरी तरह बर्बाद हो गई है। मैंने पहले भी भूकंप कवर किए हैं, लेकिन ऐसी तबाही कभी नहीं देखी। हातेय की राजधानी अंताकया रोम साम्राज्य में रोम और अलेक्साद्रिया के बाद तीसरा बड़ा शहर था। भूकंप ने यह इतिहास एक झटके में मिटा दिया है।’
‘अगले दिन मैं गाजियांटेप गया। यहां तो खुद धरती को हिलते हुए महसूस किया। मैं होटल की 7वीं मंजिल पर था। पूरा होटल हिल रहा था। शुक्र है मैं और मेरी टीम सुरक्षित निकल पाए। हातेय अब सिर्फ टूटी इमारतों का ढेर है। लोग अब भी मलबे के नीचे दबे होंगे, ये सोचकर रूह कांप जाती है।’
भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिणी तुर्किये में हुआ है। यहां के हातेय प्रांत में 9,224 बिल्डिंग पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। राजधानी अंताकया में 2,749 इमारतें टूटी हैं।
‘ये दर्द और मौत से भरी एक कहानी है। परिवार तबाह हो गए हैं। कुछ खुशकिस्मत लोग, जो जिंदा बचे हैं, वो अपने घरों या घरों के मलबे के बाहर हैं। उनके परिवार या पड़ोसी, जो फंसे हैं, उनके लिए दुआएं कर रहे हैं। मैं ऐसे बहुत से लोगों से मिला, जिनके परिवार के कई सदस्य मारे गए। कई परिवार के परिवार खत्म हो गए हैं।’
‘तुर्किये के अलग-अलग शहरों में रह रहे लोगों के रिश्तेदार उन शहरों में पहुंच रहे हैं, जहां सबसे ज्यादा तबाही हुई है। वे अपनों को बचाने आए हैं। मैं 10 फरवरी को हातेय में था, अब लोगों के जिंदा बचने की उम्मीदें टूटने लगी हैं। सिर्फ दुआओं का भरोसा है।’
‘कई लोग उम्मीद की कहानियां दिखा रहे हैं, लेकिन मुझे उम्मीद की कोई कहानी नहीं मिली। जगह-जगह मलबे से लाशें निकाली जा रहीं थीं। हमारे सामने जो रेस्क्यू चल रहा था, उसमें कोई जिंदा नहीं मिला। मलबे में दबे लोगों की आवाजें आ रहीं थीं। कोई आवाज आती तो सब खामोश हो जाते। सन्नाटा छा जाता। रेस्क्यू टीम एक्टिव हो जाती और फंसे लोगों को जी-जान से बचाने में जुट जाती।’
‘भूकंप की इस त्रासदी पर रिपोर्ट करना बहुत मुश्किल है। ये बिल्कुल अलग अनुभव है। इंडोनेशिया के बांदा एसह में भूकंप आया था, तो उसके तुरंत बाद मैं वहां गया था। वहां भी इतनी तबाही नहीं हुई थी।'
दूसरा शहर-अंताकया
बीमारों के लिए दवा नहीं, जीरो डिग्री तापमान में टेंट में ही न मर जाएं: ओमार सेलिक, अंताकया के रहने वाले
‘उस रात जब भूकंप आया, हम सब सो रहे थे। अचानक जागे और जो जिस हालत में था, घर से बाहर भागा। घर के ऊपर से पानी का टैंक गिरा, तो लगा जैसे बम फटा है। लाइट चली गई। चारों तरफ अंधेरा था। एक-दूसरे को भी नहीं देख पा रहे थे। मेरी मां अंधेरे में गिर गईं। उन्हें काफी चोट आई थी। हम उन्हें संभालते हुए किसी तरह बाहर आए।’
‘अब हम टेंट में रह रहे हैं। बिजली नहीं है, इसलिए फोन भी चार्ज नहीं कर पा रहे। बाहर जीरो डिग्री तापमान है। हमने मदद मांगी, तब रेस्क्यू टीम हमारे पास पहुंची। इंतजार में ही मेरे कई रिश्तेदारों की मौत हो गई है। ज्यादातर लोगों के फोन बंद हैं, पता नहीं कौन मरा और कौन जिंदा बच गया।’
‘नींद में भी लगता है कि धरती हिल रही है। मेरा परिवार तो ठीक है, लेकिन यहां बहुत लोग हैं, जिन्हें मदद की जरूरत है। अफसरों से बात हुई, उन्होंने वादा किया कि वे मेरी मां के लिए दवाओं का इंतजाम करेंगे। अभी तक नहीं मिली हैं। हम मदद की वजह से ही जी पा रहे हैं। मैं तो दुआ करता हूं, कि जिन लोगों की हालत हमसे भी खराब है और जो अभी भी मलबे में दबे हुए हैं, पहले उन तक मदद पहुंचे।’
तीसरा शहर-मलातया
मलबे में दबे लोग आवाज देते रहे, कोई बचाने नहीं आया: सेलमा, PhD स्कॉलर, इस्तांबुल
‘मैं सेलमा, 29 साल की हूं। जिस वक्त भूकंप आया, मैं इस्तांबुल में थी। यहां भूकंप के झटके तो नहीं लगे, लेकिन इसका असर जरूर हुआ है। तुर्किये के अलग-अलग शहरों में रहने वाले मेरे रिश्तेदारों के घर टूट गए हैं। अब वे यहां आ रहे हैं।’
‘रविवार को मेरी तीन रिश्तेदार मेरे घर आई हैं। वे अदियामान शहर में रहती हैं। उन्होंने बताया कि अदियामान खत्म हो गया है। वहां अब कुछ नहीं रहा। टूटी इमारतों के नीचे दबे लोग बीते 5-6 दिनों से मदद के लिए चीख रहे थे। वो लोग घायल हैं, और इतनी ठंड में जिंदा रहना मुश्किल है। शायद अब उनमें से कोई भी नही बचा है।’
‘मेरे एक चाचा मलातया शहर में रहते थे, भूकंप के बाद हमारे यहां आ गए हैं। उनका घर भी टूट गया, वे मलबे में दब गए थे, उन्हें निकाल लिया गया। वे ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे हैं, शॉक में हैं। बार-बार कहते हैं कि ये कयामत है, दुनिया खत्म हो गई है, सब बर्बाद हो गया। मलातया में हमारे सभी रिश्तेदारों के घर तबाह हो गए हैं।’
मलातया में 14 फरवरी को तापमान माइनस 5 डिग्री था। बेघर लोगों के पास सर्दी से बचने के लिए आग ही सहारा है। मलातया प्रांत में करीब 2.5 लाख लोग बेघर हुए हैं।
‘मेरे एक दोस्त के परिवार के 24 लोग इस भूकंप में नहीं बचे। मैंने उससे फोन पर बात की तो उसने बताया- ‘सभी मलबे में दबे थे, हम फोन करके मदद बुलाते रहे। मलबे में दबे हुए लोग पुकारते रहे, फिर चुप हो गए।’
‘पहले सरकार से उम्मीद थी, अब गुस्सा है। कई दोस्तों और रिश्तेदारों के परिवार कैंपों में रह रहे हैं। मेरे जैसे हजारों नौजवान मदद में जुटे हैं। हम प्रभावित लोगों के बारे में जानकारियां इकट्ठा करते हैं और मददगारों तक पहुंचाते हैं। हम सामान जुटा रहे हैं और टीमों की मदद से उन्हें भूकंप वाले इलाकों में भेज रहे हैं।’
ये बताते हुए सेलमा थोड़ा रुकती हैं, फिर कहती हैं- ‘सरकार भूकंप के बारे में बात करने से रोक रही है। आप अपनी रिपोर्ट में हमारी पहचान उजागर ना करें, वरना पुलिस हमारे घर पहुंच जाएगी।’
(सेलमा की पहचान छुपाई गई है, ये बदला हुआ नाम है)
चौथा शहर- अदियामान
बिजली-इंटरनेट बंद, लोग हाथों से मलबा हटाने के लिए मजबूर: सेदिया, अदियामान की रहने वालीं
‘इस भूकंप में मैंने अपनों को खो दिया। हम अभी टेंट में रह रहे हैं, लेकिन ये जगह बहुत अच्छी नहीं है। बिजली नहीं है, इसलिए फोन चार्ज नहीं होते। मैं कुछ देर ही बात कर पाऊंगी, इसके बाद मोबाइल बंद हो जाएगा। यहां इंटरनेट कनेक्टिविटी भी खराब है, इसलिए मैं आपको वॉयस नोट भेज रही हूं। यहां सभी लोगों की जिंदगी बहुत मुश्किल है, कई लोग अब भी मलबे के नीचे हैं।’
‘सरकार की मदद यहां नहीं पहुंची हैं, इलाज नहीं मिल रहा है। हालांकि, बाकी सभी लोग बहुत मेहनत कर रहे हैं। जो लोग बच गए, वो फंसे लोगों को बचाने में जुटे हैं। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यहां पहुंचे हैं। पुलिस या सेना से कोई अभी नहीं आया। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार हमारी मदद क्यों नहीं कर रही। यहां बहुत खराब इंतजाम है। पूरे तुर्किये से लोग मदद भेज रहे हैं, लेकिन ये मदद यहां तक नहीं पहुंच रही है।’
‘लोग बहुत गुस्से में है। भूकंप के बाद 8वें दिन तक टूटी इमारतों का मलबा नहीं हटाया गया। लोग हाथों से मलबा हटाने के लिए मजबूर हैं। इलाके के सभी घर टूट गए हैं, इनमें मेरा घर भी है।'
(सेदिया की पहचान छुपाई गई है, ये बदला हुआ नाम है)
अब तक 37 हजार मौतें, बढ़ रहा है आंकड़ा
तुर्किये और सीरिया में 6 फरवरी को सुबह 3 बड़े भूकंप आए थे। रिक्टर स्केल पर 7.8 तीव्रता वाला पहला भूकंप सुबह करीब चार बजे आया। दूसरा झटका करीब 10 बजे आया, जिसकी तीव्रता 7.6 थी और 6 तीव्रता वाला तीसरा भूकंप दोपहर 3 बजे आया।
सदी के इस सबसे विनाशकारी भूकंप ने तुर्किये के 10 प्रांतों को तबाह कर दिया है। कई शहर खत्म हो चुके हैं। सैकड़ों ऐतिहासिक इमारतें अब इतिहास का हिस्सा हो गई हैं। दोनों देशों में 37 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ तुर्किये में 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं...
सबसे ज्यादा तबाही दक्षिणी तुर्किये में हुई है। 16 लाख की आबादी वाला हातेय प्रांत और उसकी राजधानी अंताकया पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। दक्षिण-पूर्वी तुर्किये का कुर्द बहुल अदियामान नक्शे से मिट चुका है। ये तबाही इतनी बड़ी है, कि बचाव के रिसोर्स कम पड़ गए हैं। भारत समेत दुनिया के 95 देशों ने तुर्किये और सीरिया को मदद भेजी है। इससे पहले तुर्किये में 1999 में 7.4 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इससे 17 हजार मौतें हुई थीं।
ऊपर जिन चार शहरों का जिक्र है, वे टूरिस्ट प्लेस होने के साथ ही इतिहास से भी जुड़े है। रोमन, ओटोमन और तुर्क शासन में इन शहरों की खास जगह रही। दुनियाभर के टूरिस्ट इनकी निशानियां देखने आते थे, जो अब नहीं रहीं।
भूकंप ने तुर्किये की ऐतिहासिक धरोहरें तो खत्म की हीं, उसका भूगोल भी बदल दिया। पढ़िए ये खबरें...
1. तुर्किये में भूकंप से बनी 300 किलोमीटर लंबी दरार, स्पेस से भी दिख रही
COMET के मुताबिक, तुर्किये में आए भूकंप की फॉल्ट लाइन पूरे महाद्वीप में अब तक की दरारों में सबसे बड़ी है।
ब्रिटेन के रिसर्चर्स ने तुर्किये में भूकंप से पहले और बाद की स्पेस से ली गई दो इमेज जारी की हैं। सेंटर फॉर द ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग ऑफ अर्थक्वेक यानी COMET के रिसर्चर्स ने बताया कि ये इमेज सेंटिनल -1 सैटेलाइट से ली गई हैं। भूकंप के बाद की तस्वीरों में धरती में आई बड़ी-बड़ी दो दरारें दिख रही हैं। सबसे बड़ी दरार 300 किलोमीटर लंबी है।
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2. तुर्किये के लोगों को दुनियाभर से मदद, 9 साल के बच्चे ने पॉकेट मनी डोनेट की
दान करने वाले बच्चे ने लेटर में लिखा कि 'जब भूकंप आया, तो मैं बहुत डर गया था। आज भी मुझे वही डर महसूस हो रहा है। इसलिए मैंने अपनी पॉकेट मनी पीड़ितों के लिए भेजी है।'
भूकंप की तबाही के बाद तुर्किये को 95 से ज्यादा देशों ने मदद भेजी है। तुर्किये के डूसजे शहर में रहने वाले 9 साल के अल्परसलान ने अपनी सेविंग्स भूकंप पीड़ितों के लिए दान कर दी। गल्फ न्यूज के मुताबिक, अल्परसलान ने अपने लेटर में लिखा कि 'मैं चॉकलेट न खरीदूं तो चलेगा, लेकिन वहां किसी बच्चे को ठंड में भूखा न सोना पड़े।'
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3. तुर्किये की इकोनॉमी को भी झटका, करेंसी लीरा में रिकॉर्ड गिरावट
आर्थिक संकट से घिरे तुर्किये की मुश्किलें भूकंप की वजह से और बढ़ गई हैं। देश की करेंसी लीरा लगातार कमजोर हो रही है और महंगाई दर 57% के करीब है। तुर्किये में इस साल चुनाव भी है। ऐसे में इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रपति एर्दोगन ने रिकॉर्ड पब्लिक स्पेंडिंग का ऐलान किया है। एक्सपर्ट रूस-यूक्रेन जंग के साथ एर्दोगन की नीतियों को इकोनॉमी की खराब हालत का कारण मान रहे हैं।