राजस्थान में सभी 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा हो गया है। एक बार फिर प्रदेश में इन चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी सियासत में खींचतान देखने को मिली है।
अजमेर से लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बनने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जहां अजमेर और नागौर में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे, तो वहीं कांग्रेस से गठबंधन होने के बावजूद RLP संयोजक हनुमान बेनीवाल बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार करने नहीं गए। इसके विपरीत बेनीवाल की पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने वहां बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी को सपोर्ट दे दिया।
दैनिक भास्कर ने पड़ताल कर जाना कि आखिर क्या कारण रहे कि सचिन पायलट अजमेर में कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी के प्रचार के लिए नहीं आए? बेनीवाल ने क्यों अपने समर्थकों की बयानबाजी तक को कंट्रोल नहीं किया। पढ़िए - मंडे स्पेशल स्टोरी में....
जीतकर मंत्री बने, हर बार किया बढ़ चढ़कर प्रचार, इस बार नहीं…
साल 2009 के चुनाव में सचिन पायलट ने अजमेर से ही लोकसभा चुनाव लड़ा था। यहां जीत मिलने के बाद वे यूपीए सरकार में मंत्री बने थे। यहां बड़ी तादाद में गुर्जर वोटर्स की संख्या है, जो पायलट को अपना सबसे बड़ा नेता मानती है।
अजमेर सीट पर सचिन पायलट की अच्छी पैठ मानी जाती है।
2014 का चुनाव सचिन पायलट हार गए। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बीना काक के दामाद और उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला को अपना प्रत्याशी बनाया था। रिजु के सचिन पायलट से भी बढ़िया संबंध थे। इस चुनाव में भी पायलट ने झुनझुनवाला के लिए वोट मांगे और प्रचार किया लेकिन झुनझुनवाला बीजेपी के भागीरथ चौधरी के सामने ये चुनाव हार गए।
लगभग हर लोकसभा चुनाव के दौरान अजमेर में प्रचार करने वाले और यहां के मतदाताओं खासकर बड़ी तादाद में यहां के गुर्जर वोटर्स में मास अपील रखने वाले सचिन पायलट का इस बार चुनाव प्रचार में नहीं आना बड़े सवाल खड़े कर रहा है। इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने अजमेर सीट से इस बार के कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी से बात की।
भास्कर से बातचीत के दौरान अजमेर लोकसभा सीट से प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी।
भास्कर : अजमेर से सांसद और बाद में केंद्रीय मंत्री बने कांग्रेस के बड़े नेता सचिन पायलट यहां प्रचार करने क्यों नहीं आए?
रामचंद्र चौधरी : हमारे अशोक गहलोत नेशनल लेवल के स्टार प्रचारक यहां आए थे। उन्हें तो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा रहा था। उनसे बड़ा कौन स्टार प्रचारक है? पूर्व सीएम अशोक गहलोत यहां प्रचार करने आए थे और उनके आने से सब खानापूर्ति हो गई। सभी वर्ग के लोग संतुष्ट हैं। पायलट साहब बिजी होंगे, इसलिए नहीं आ पाए, लेकिन उनकी भावना मेरे प्रति ठीक थी।
भास्कर : क्या आपने सचिन पायलट को यहां प्रचार करने बुलाया था?
रामचंद्र चौधरी : हां, मैं खुद उन्हें बुलाने जयपुर उनके घर गया था। उनसे प्रार्थना करके आया था और रोज करीब 5-6 बार उनके स्टाफ से बात कर रहे थे। वो पहले छत्तीसगढ़ चले गए और फिर केरला चले गए और हमको टाइम नहीं दिया।
उनके और मेरे समर्थक एक ही हैं। हम भी उनके समर्थक हैं। उनके नहीं आने से यहां कोई फर्क नहीं पड़ा। उनका मैसेज था और उनके कार्यकर्ता हमारा काम कर रहे थे। इसके अलावा RLP चीफ हनुमान बेनीवाल के प्रचार से मुझे बहुत फायदा हुआ है। उनके यहां आने से मेरे 30-40 हजार वोट प्लस हुए हैं। मैं अपनी जीत के लिए अब 100 नहीं एक हजार प्रतिशत कॉन्फिडेंट हूं।
दौसा से कांग्रेस प्रत्याशी मुरारीलाल मीणा के लिए प्रचार के दौरान सचिन पायलट।
पायलट ने नागौर लोकसभा सीट पर भी नहीं किया प्रचार, बेनीवाल बोले- मैंने बुलाया था
नागौर सीट पर इस बार कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) का गठबंधन था। नागौर लोकसभा सीट की परबतसर और नावां विधानसभा पर गुर्जर वोटर्स की ठीक-ठाक तादाद देखते हुए बेनीवाल सचिन पायलट की एक सभा करवाना चाह रहे थे। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपने एक भाषण में जिक्र करते हुए कहा भी था कि उन्होंने सचिन पायलट से सभा के लिए टाइम मांगा है। लेकिन पूरे चुनाव में सचिन पायलट की यहां कोई भी रैली या सभा नहीं हो पाई।
बाद में हनुमान बेनीवाल ने एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने सचिन पायलट से सभा के लिए कहा था लेकिन उनकी तरफ से टाइम नहीं मिल पाया। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस पार्टी के शेखावाटी के एक बड़े नेता पर नाम लिए बिना आरोप लगाया कि वो मेरा प्रचार नहीं करना चाहते थे। इतना ही नहीं उन्होंने तो यहां तक आरोप लगाए कि कुछ कांग्रेस नेता उनके गठबंधन में भी रोड़े अटका रहे थे और उनकी RLP पार्टी में भी तोड़फोड़ करने में लगे हुए थे।
जयपुर ग्रामीण सीट से प्रत्याशी बनाए गए युवा नेता अनिल चौपड़ा के समर्थन में सभा के दौरान सचिन पायलट।
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर बेनीवाल ने नहीं किया कांग्रेस का प्रचार
नेताओं की अनबन और एक-दूसरे का प्रचार नहीं करने की ये कहानी सिर्फ अजमेर और नागौर सीट की ही नहीं थी। बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल भी कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल का प्रचार करने नहीं पहुंचे।
दरअसल, उम्मेदाराम बेनीवाल कांग्रेस से पहले हनुमान बेनीवाल की ही पार्टी RLP के नेता थे। उन्होंने दो बार RLP के टिकट पर बायतु से कांग्रेस नेता हरीश चौधरी के सामने चुनाव भी लड़ा। हालांकि दोनों ही बार हार गए थे।
इस बार एन लोकसभा चुनावों से पहले उम्मेदाराम ने RLP पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली। हनुमान बेनीवाल के सियासी दुश्मन हरीश चौधरी की मौजूदगी में उम्मेदाराम बेनीवाल कांग्रेस नेता बने और उन्हें बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया। ये हनुमान बेनीवाल के लिए बड़ा झटका था। इसके कुछ दिन बाद कांग्रेस और RLP का गठबंधन हो गया।
पहले चरण में नागौर लोकसभा सीट पर मतदान हो जाने के बाद हनुमान बेनीवाल ने मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि उनका कांग्रेस पार्टी से नागौर व बाड़मेर समेत 2 लोकसभा सीटों पर गठबंधन की बात चल रही थी, लेकिन इस बीच उम्मेदाराम बेनीवाल उन्हें छोड़ कर चले गए। कुछ कांग्रेस नेता जो गठबंधन को अटकाने में लगे थे, उन्होंने ही ये खेल किया था।
जालोर की सभा में बोले- सब जगह प्रचार नहीं करूंगा, ये इशारा समझ जाना
लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में बाड़मेर-जैसलमेर समेत राजस्थान की 13 सीटों पर चुनाव था। हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए जालोर, चित्तौड़गढ़, पाली, अजमेर व राजसमंद संसदीय क्षेत्रों में दौरे कर उनके लिए वोट मांगे। इसी दौरान जालोर संसदीय क्षेत्र में हुई एक सभा में बेनीवाल ने भाषण देते हुए कहा कि 'मैं सब जगह वोट मांगने नहीं जा रहा हूं, जहां जा रहा हूं पूरी ईमानदारी से जा रहा हूं और अपील भी कर रहा हूं। जहां नहीं जाऊंगा तो वहां समझ जाना कि उनसे मेरा कोई प्रेम नहीं है। वो धोखेबाज हैं और कौम के गद्दार हैं। वो किसानों के गद्दार हैं और वो आपके कभी नहीं हो सकते।'
RLP पदाधिकारियों ने दिया बीजेपी को समर्थन
हनुमान बेनीवाल की RLP पार्टी के बाड़मेर जिला संयोजक गजेंद्र चौधरी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी का समर्थन दे दिया। हंगामा बढ़ा तो हनुमान बेनीवाल का बयान आया। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 'गजेंद्र मेरा पुराना कार्यकर्ता है, इसी की गारंटी पर मैंने उम्मेदाराम को बायतु से पहली बार टिकट दिया था। कुछ टाइम पहले बाड़मेर में कांग्रेस नेता हरीश चौधरी और जिन लोगों ने मेरे और तब के केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी पर हमला किया था, उम्मेदाराम उन्हीं लोगों से मिल गया था। इससे वहां पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। वहां धड़े बन गए हैं।
बाड़मेर में आरएलपी पदाधिकारियों ने गठबंधन के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी को समर्थन दिया था।
बेनीवाल ने कहा था कि मैं इसी आक्रोश को खत्म करवाना चाहता था। RLP कार्यकर्ताओं की भी इच्छा थी कि बाड़मेर में मेरी रैली हो, लेकिन रैली नहीं करवाई गई। अब चुनाव प्रचार बंद होने के बाद तो क्या किया जा सकता है? इसलिए मैं अब इस बाड़मेर-जैसलमेर के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता हूं।
बाड़मेर में बेनीवाल को रोड शो के लिए बुलाने का ऑडियो हुआ वायरल
हनुमान बेनीवाल के मीडिया में दिए गए इस बयान के तुरंत बाद उम्मेदाराम बेनीवाल कैंप की तरफ से वरिष्ठ कांग्रेस नेता हेमाराम चौधरी का एक ऑडियो वायरल हुआ। इस ऑडियो में हेमाराम RLP सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल से बाड़मेर में कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल के लिए आयोजित रोड शो में प्रचार के लिए पहुंचने की बात कह रहे थे। इसके जवाब में पहले तो बेनीवाल ने खुद की तबियत ठीक नहीं होने की बात कही लेकिन जब हेमाराम ने दुबारा रिक्वेस्ट की तो कोशिश करने की बात कही।