झांसी के बबीना की फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास के दौरान टैंक से गोला दागते समय बैरल फटने से नायब सूबेदार सुमेर सिंह (41) और सुकांता मंडल (23) शहीद हो गए। नायब सूबेदार राजस्थान के झुंझुनूं के उदयपुरवाटी तहसील की बगड़िया की ढाणी के रहने वाले थे। शहीद होने की जानकारी पर पूरे गांव में मातम का माहौल है।
सूबेदार जगतसिंह बातते हैं "सुमेर सिंह अच्छे गनर और अचूक निशानेबाज थे। साथ ही टैंक के मास्टर ट्रेनर भी थे। वे 100 से अधिक जवानों को टैंक से गोले दागने और उसे ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दे चुके थे। पिछले 10 सालों मैं उनके साथ यूनिट में रहा। वे अपने काम के जितने मास्टर थे, उतने ही मिलनसार थे। दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे रहते थे। उनके साथ अहमदनगर,, हिसार, बबीना में रहा। यहां बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में सलाना युद्धाभ्यास चल रहा था। टैंक-90 के साथ जवानों को गोले दागने की ट्रेनिंग दे रहे थे। उसी दौरान गोला टैंक के बैरल में ही अटक गया। धुआं उठा, वे कुछ कर पाते, उससे पहले ही तेज धमाके साथ बैरल में ब्लास्ट हो गया। इसमें सुमेर सिंह और सुकांता शहीद हो गए।
"दीपावली पर जाना था घर
तस्वीर में नायब सूबेदार सुमेर सिंह अपनी पत्नी सुमन देवी के साथ हैं।
55 आर्म्ड रेजीमेंट के नायब सूबेदार सुमेर सिंह की बबीना में पोस्टिंग थी। करीब 23 साल की नौकरी पूरी हो चुकी थी। वह आर्म्ड रेजीमेंट में होने के कारण 23 सालों से टैंक से गोले ही दाग रहे थे।
करीब डेढ़ माह पहले ही वह छुट्टी काटकर घर से लौटे थे। दो दिन पहले फोन कर परिजनों को कहा था कि दीपावली को घर आऊंगा। लेकिन, दीपावली से कुछ दिनों पहले ही आज उनकी पार्थिव देह घर पहुंचा। 5 भाइयों और एक बहन में सुमेर सबसे छोटा है। एक भाई की पहले ही मौत हो गई थी।
कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात थे
उनके दोस्त संदीप सिंह बताते हैं, "सुमेर सिंह बचपन से ही सेना में जाना चाहता था। नवंबर 1998 में वह सेना में भर्ती हो गया। अगले साल ही कारगिल युद्ध छिड़ गया। 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक युद्ध चला। तब सुमेर पाकिस्तान बॉर्डर जैसलमेर में टैंक लेकर मोर्चा संभाले हुए था। कहता था कि दुश्मन सामने आया कि टैंक से गोला दागकर उसके चीत्थड़े उड़ा दूंगा।"
पत्नी प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं
ये तस्वीर शहीद हुए नायब सूबेदार सुमेर सिंह और शहीद गनर सुकांता मंडल की है।
नायब सुबेदार का हंसता खेलता परिवार है। उनकी पत्नी सुमन देवी और दो बच्चे गांव में रहते हैं। पत्नी प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। शहीद की 15 साल की बेटी भावना कक्षा 11 में और 8 साल का बेटा कृष तीसरी कक्षा में पढ़ता है।
पत्नी को छोड़कर बाकी लोगों को सुमेर के शहीद होने की जानकारी दे दी गई है। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार पत्नी से फोन पर बात कराने के लिए कह रही है। शहीद के भाई बोदूराम ने बताया की उसके भाई को खोने का दुख है, मगर देश के लिए शहीद हुआ है ,यह मेरे लिए गर्व की बात है।
सूचना से मचा मातम
हादसे के बाद नायब सुबेदार और गनर के परिजनों को फोन लगाकर जानकारी दी गई।
हादसे के बाद सेना ने फोन कर सूबेदार के परिजनों को सूचना दी। शहीद के भतीजे नरेश ने बताया कि सेना के अधिकारियों ने गुरुवार रात करीब 9 बजे फोन लगाकर हमें हादसे की जानकारी दी। इसके बाद हम लोग झांसी के लिए रवाना हो गए। पोस्टमॉर्टम के बाद रात को परिजन पार्थिव देह लेकर झांसी से राजस्थान के लिए रवाना हो गए।
2001 में रूस से टी-90 टैंक खरीद का किया गया था सौदा
साल 2001 में भारत ने रूस से टी-90 टैंक के लिए सौदा किया था। इसमें से 124 टैंक रूस ने बनाकर दिए थे और बाकी टैंक भारत में असेम्बल किए गए थे। जिन्हें भीष्म नाम दिया गया। 60 किलोमीटर की स्पीड से चलने वाला ये टैंक 125 किलोमीटर स्मूथबोर गन से लैस है। टी-90 के इस तोप से कई तरह के गोले और एंटी टैंक मिसाइल दागे जा सकते हैं।
आज 11 बजे होगी शहीद की अंत्येष्टि
शनिवार सुबह शहीद सुमेर की पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचेगा। सम्मान में गुढ़ागौड़जी से घर तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। इसमें झुंझुनूं के जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह समेत प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नेता शामिल होंगे। सुबह 11 बजे पैतृक गांव में सुमेर सिंह के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि होगी।
बुरी तरह से झुलस गए थे
बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास के दौरान गुरुवार शाम को टी-90 टैंक से नायब सुबेदार सुमेर सिंह और गनर सुकांता गोला दाग रहे थे। तभी टैंक की बैरल फट गई। इससे गोला की आग अंदर जा पहुंची और दोनों गंभीर रूप से झुलस गए थे। उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। टैंक ड्राइवर सीट पर बैठे प्रदीप यादव झुलस कर घायल हो गया था।