छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) जवानों की गाड़ी को उड़ाने की तैयारी नक्सली पिछले 4 दिनों से कर रहे थे। नक्सलियों ने बुधवार दोपहर 1:30 से 2:00 बजे के बीच अरनपुर-समेली में 50 किलो की IED में ब्लास्ट किया गया। इसमें 10 पुलिसकर्मी शहीद हुए और एक वाहन चालक की मौत हो गई।
धमाके की आवाज करीब डेढ़ किमी तक सुनाई दी। जवानों और गाड़ी के चिथड़े उड़कर 60-70 मीटर दूर तक पहुंच गए। सुरक्षाबलों के 2 अलग-अलग कैंप के बीच नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम ने यह हमला किया।
नक्सलियों ने जिन DRG की प्लाटून नंबर 1 को अपना टारगेट बनाया, ये दंतेवाड़ा की सबसे मजबूत टीम थी। इसमें सरेंडर कर चुके नक्सली भी थे और इसलिए ऐसी टीमों से ही नक्सलियों को सबसे ज्यादा खतरा है।
भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची, वो तस्वीर मिली, जो बताती है कि धमाका कितना ताकतवर था...
धमाका इतना जबरदस्त था कि सड़क पर 7 फीट गहरा गड्ढा हो गया। तस्वीर उसी जगह की है। भास्कर रिपोर्टर लोकेश बता रहे हैं कि धमाका कितना ताकतवर था।
नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों की तस्वीर...
नक्सली हमले में शहीद हो गए ये जवान।
अब सिलसिलेवार पढ़िए वारदात से पहले और बाद की इनसाइड स्टोरी.....
1. पुलिस को पहले ही मिल गई थी नक्सलियों की मौजूदगी की खबर
नक्सलियों का DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर) जगदीश पिछले 4 दिन से ककाड़ी, नहाड़ी, गोंडेरास के जंगलों में माओवादियों की बैठक ले रहा था। जगदीश के साथ करीब 30 से 35 की संख्या में कई हथियारबंद माओवादी भी मौजूद थे। जो TCOC के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए रणनीति बना रहे थे। दंतेवाड़ा पुलिस को इंटेलिजेंस से नक्सलियों के मौजूदगी की खबर मिली थी।
2. 6 टीमों को नक्सल ऑपरेशन पर भेजा गया था
दंतेवाड़ा पुलिस के अफसर बड़े अधिकारियों से जवानों को ऑपरेशन पर भेजने की इजाजत मांग रहे थे। हालांकि, मंजूरी मिलने में 2 दिन का वक्त लग गया था। फिर मंगलवार को जवानों को ऑपरेशन पर भेजने का ग्रीन सिग्नल मिल गया। जिसके बाद 25 अप्रैल को दंतेवाड़ा DRG की पूरी 6 टीमों को नक्सल ऑपरेशन पर भेजा गया था। इसमें करीब 300 से ज्यादा जवान शामिल थे।
शहीद जवान और वाहन चालक।
3.नक्सली कमांडर को घेरने रात में ही निकल गए थे जवान...
25 अप्रैल की शाम करीब 6 से 7 बजे के बीच जवानों को बड़ी गाड़ियों से अलग-अलग लोकेशन में ड्रॉप किया गया था, ताकि चारों तरफ से नक्सलियों को घेरा जा सके। इनमें DRG की प्लाटून नंबर 1 को अरनपुर के जंगल में छोड़ा गया था। यहीं से जवान नक्सली कमांडर जगदीश को घेरने के लिए रात में ही जंगल में घुसे थे। जवानों को बड़ी गाड़ी के जरिए जंगल में छोड़े जाने की खबर नक्सलियों को मिल गई थी। नक्सली पहले से ही अलर्ट थे।
4. 26 अप्रैल की सुबह हुई थी मुठभेड़...
जैसे ही जवान 26 अप्रैल की सुबह नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचे तो दोनों तरफ से गोलीबारी हुई थी। हालांकि, नक्सली कमांडर जगदीश को पुलिस घेर नहीं पाई और वह भाग निकला। अफसरों के निर्देश के बाद सभी जवान जंगल से जिला मुख्यालय लौटने निकल गए थे। इनमें DRG की प्लाटून नंबर 1 अरनपुर पहुंची। जवानों को लेने कई गाड़ियां गई हैं, यह खबर नक्सलियों को मिल गई थी।
5. नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम को मिली थी जिम्मेदारी...
नक्सलियों को मालूम था कि जवान बड़ी गाड़ी से आए हैं, तो जाएंगे भी उसी में, इसलिए जवानों से भरी गाड़ी को निशाना बनाने की रणनीति बनाई गई। नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम को वारदात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। भास्कर के सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों ने अरनपुर-समेली कैंप के बीच जब सड़क निर्माण का काम चल रहा था, उसी समय कमांड IED प्लांट कर रखी हुई थी। सड़क से करीब 70 से 80 मीटर लंबा तार जंगल की तरफ बिछा रखा था।
6. जवानों से भरी एक गाड़ी पहले उसी इलाके से गुजरी, लेकिन निशाना नहीं बना सके
ऐसा बताया जा रहा है, बुधवार को जवानों से भरी एक गाड़ी पहले उसी इलाके से गुजर गई। हालांकि, नक्सली उसे निशाना नहीं बना सके। कुछ देर बाद माओवादियों ने दूसरी गाड़ी को अपना निशाना बनाया। इस गाड़ी में 10 जवान सवार थे। यह गाड़ी किसी सिविलियन की थी, जो बुकिंग के तौर पर जवानों को लेने गई हुई थी। दोपहर करीब 1:30 से 2 बजे के बीच जैसे ही गाड़ी IED के ऊपर आई वैसे ही नक्सलियों ने ब्लास्ट कर दिया।
DRG जवानों के हथियार।
7. धमाका इतना जबरदस्त था कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए...
गाड़ी में सवार 10 जवान और एक वाहन चालक के शरीर के चिथड़े उड़ गए। करीब 60 से 70 मीटर दूर तक गाड़ी के पार्ट्स और जवानों के शरीर के अंग बिखर गए। सड़क पर करीब 7 फीट गहरा गड्ढा हो गया। नक्सलियों ने इस घटना के लिए करीब 50 किलो की IED का इस्तेमाल किया था। धमाका इतना जोरदार था कि करीब डेढ़ किलोमीटर दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी। वारदात के बाद नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम जंगल की तरफ भाग गई।
8. सड़क निर्माण के दौरान प्लांट की गई थी IED
दंतेवाड़ा-अरनपुर-जगरगुंडा सड़क निर्माण का काम पिछले कई सालों से चल रहा है। हालांकि, अरनपुर से आगे कमारगुड़ा तक काम पूरा हो चुका है। जब उस इलाके में काम चल था तो निर्माणाधीन सड़क में ही नक्सलियों ने सैकड़ों IED प्लांट कर रखी हुई थीं। पिछले कुछ सालों में करीब 150 से ज्यादा IED बरामद की जा चुकी हैं। इसी सड़क पर नक्सलियों ने कई बारूदी सुरंग भी बिछा रखी थीं, जिसे जवानों ने ध्वस्त किया था। नक्सलियों ने बुधवार को जिस IED को ब्लास्ट किया इसे कुछ साल पहले सड़क निर्माण के दौरान ही प्लांट किया गया था। यह काफी खतरनाक सड़क मानी जाती है।
शवों के चिथड़े उड़ गए थे। साथी जवानों ने शहीदों के शवों के टुकड़ों को इकट्ठा किया , फिर जिला अस्पताल पहुंचाया।
9. बड़ी गाड़ी से जवानों को लाना बड़ी चूक
अमूमन बस्तर के किसी भी नक्सल प्रभावित इलाके में यदि जवानों को सर्चिंग पर निकाला जाता है तो बाइक के माध्यम से जवान जंगल तक पहुंचते हैं। लेकिन, दंतेवाड़ा में एक जवानों को बड़ी गाड़ी से लाना, ले जाना एक बड़ी चूक की गई है। वह भी ऐसे इलाके में जो पूरी तरह से नक्सलियों का क्षेत्र है। दंतेवाड़ा से जगरगुंडा तक पालनार से आगे हर 10 किलोमीटर के बाद सुरक्षाबलों का एक कैंप जरूर है, लेकिन सड़कों पर नक्सली कई जगह बारूद बिछा कर रखते हैं। इसी चूक का खामियाजा 10 जवान और एक चालक की शहादत से चुकाना पड़ा।
108 के माध्यम से शवों को अस्पताल पहुंचाया।
DRG जवानों से नक्सली मानते हैं खुद के लिए ज्यादा खतरा...
दंतेवाड़ा समेत बस्तर में नक्सलियों के खात्मे के लिए DRG के जवानों का बड़ा योगदान होता है, क्योंकि DRG में स्थानीय युवा और सरेंडर नक्सली होते हैं, जो जल-जंगल-जमीन से वाकिफ होते हैं। सरेंडर नक्सली, नक्सलियों के ठिकानों को अच्छी तरह से जानते हैं। इससे फोर्स को नक्सलियों के खात्मा करने में काफी आसानी होती है। DRG के गठन के बाद से दंतेवाड़ा समेत पूरे बस्तर में नक्सलियों को काफी नुकसान हुआ है। अन्य फोर्स की तुलना में नक्सली DRG जवानों से खुद के लिए ज्यादा खतरा मानते हैं। दंतेवाड़ा जिले में पहली बार एक साथ इतनी संख्या में DRG के जवानों की शहादत हुई है।
बीजापुर में चूके तो दंतेवाड़ा में बनाया टारगेट...
18 अप्रैल को नक्सलियों ने बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर हमला किया था। हालांकि, इस हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ था। कुछ दिन बाद माओवादियों ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया था कि उनके टारगेट में विधायक या फिर कोई अन्य नेता नहीं थे। नक्सलियों ने जवानों को अपना टारगेट बनाया था। वहां नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने से चूक गए थे। इसलिए उन्होंने दंतेवाड़ा में जवानों को अपना निशाना बनाया।
नक्सलियों का चल रहा TCOC
बस्तर में नक्सलियों का TCOC चल रहा है। नक्सली TCOC के दौरान बड़ी घटना को अंजाम देते हैं। साल 2021 में अप्रैल के महीने में बीजापुर के टेकलगुड़ा में जवानों को एंबुश में फंसाया था। इस घटना में 21 जवान शहीद हुए थे। वहीं कुछ साल पहले सुकमा के बुर्कापाल में 25 और मीनपा में 17 जवानों की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहादत हुई थी।
अब पढ़िए इसी घटना से जुड़ी और भी खबरें...
1. शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री आज जाएंगे दंतेवाड़ा:नक्सली हमले को लेकर भूपेश बघेल लेंगे उच्चस्तरीय बैठक; 10 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद
मुख्यमंत्री ने घटना के बाद एक उच्च स्तरीय आपात बैठक ली।
दंतेवाड़ा पढ़ें पूरी खबर...
2. छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, 10 पुलिसकर्मी शहीद:50 किलो विस्फोटक से ब्लास्ट, ड्राइवर की भी मौत; 8 लाख के इनामी को पकड़ने निकले थे
शहीद जवानों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया ।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को नक्सली हमले में 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। ये जवान डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) यूनिट के थे। इनके अलावा इनकी गाड़ी के ड्राइवर की भी हमले में मौत हुई है। नक्सलियों ने IED ब्लास्ट में पुलिसकर्मियों का वाहन उड़ा दिया। 50 किलो विस्फोटक से ब्लास्ट किया गया। हमला दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में अरनपुर-समेली के बीच हुआ था। पढ़ें पूरी खबर...
3. 7 दिन पहले IG ने जताई थी हमले की आशंका:पता था अटैक हो सकता है, झीरम से लेकर जवानों पर बड़े हमले गर्मियों में ही
'इस साल 2023 में नक्सली कोई बड़ी घटना की साजिश करते हैं तो इसे हम नाकाम करेंगे...' ये बातें पिछले गुरुवार को कही गईं।
बस्तर के IG सुंदरराज पी ने 20 अप्रैल को कहा था- हर साल गर्मी के मौसम में नक्सलियों की हिंसक घटनाएं बढ़ जाती है, सुरक्षा बलों पर हमला करना और हिंसात्मक गतिविधियां की जाती हैं। 2022 में नक्सली कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पाए, 2023 में भी हम उनकी साजिश को नाकाम करेंगे। पढ़िए पूरी खबर...