बूंदी - कमलेश शर्मा
असामाजिक तत्वों ने तोड़ी सुंदरता के लिए झील के चारों ओर लगाई गई लाइट। शहर के सुख महल के किनारे स्थित ऐतिहासिक जेतसागर झील जो एक समय विदेशी परिंदों व पक्षियों की अठखेलियों से सुसज्जित व गुंजायमान थी। आज कमल जड़ों, गंदगी व गंदे नालों के गिरने से कचरा पात्र में तब्दील हो चुकी है। हालत यह है की शहर के धोबी समाज द्वारा इसे धोबी घाट बना दिया है जिस कारण इस्तेमाल किए जा रहे डिटर्जन पाउडर आदि से इसका पानी सड़ने लगा है व मछलियां मरने लग गई है। झील शहर के लोगों की उपेक्षा का केंद्र भी बनी हुई है जिस कारण शहर के लोगों द्वारा पूजन सामग्री आदि का कचरा भी पॉलिथीन में पैक कर यही डाला जा रहा है। साथ ही प्रशासन द्वारा सभी प्रकार की मूर्ति विसर्जन ,ताजिये विसर्जन भी यही किए जाते आ रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि आज कमल जड़ों ,मूर्ति विसर्जन के अपशिष्ट ,पूजन सामग्री के अपशिष्ट ,गंदे नालों व डाली जा रही गंदगी के कारण आज झील कचरा पात्र के रूप में तब्दील हो गई है। वह पूर्णतया अपनी सुंदरता खो चुकी है। आज आलम यह है कि झील का पानी पूर्णतया दलदल में तब्दील हो चुका है व सड़ने लगा है। झील के सौंदर्यीकरण के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से 10 वर्ष पूर्व झील के चारों ओर दीवार पर भूरा पत्थर व स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी। जो रख रखाव व सुरक्षा के अभाव में असामाजिक तत्वों द्वारा उखाड़ दी गई या तोड़ दी गई है। आज झील के चारों ओर नशेड़ी व असामाजिक तत्वों का बसेरा रहता है। जिस कारण आम लोगों का घूमना तथा परिवार सहित जाना लगभग बंद सा हो गया है। जिला प्रशासन ,पर्यटन विभाग व पुलिस प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं देने के कारण झील दुर्दशा का शिकार हो रही है तथा सुरक्षा के अभाव में लोगों की मरण स्थली बनती जा रही है। सैकड़ों लोग झील में कूदकर , डूबकर व हादसे का शिकार होकर अपनी जाने गवा चुके हैं।