टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए लोगों को ले जाने वाली पनडुब्बी अटलांटिक महासागर में लापता हो गई है। पनडुब्बी को ट्रैक करने के लिए खोज और बचाव अभियान शुरू हो गया है।
यह स्पष्ट नहीं है कि जिस समय पनडुब्बी लापता हुई उस समय उसमें कितने लोग सवार थे। टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए छोटी पनडुब्बी कभी-कभी पर्यटकों और विशेषज्ञों को ले जाती हैं। इसके लिए पैसा लिया जाता है। टाइटैनिक के मलबे तक की यात्रा में हजारों डॉलर खर्च होते हैं। टाइटैनिक के तक पहुंचने और वापस आने में करीब आठ घंटे लगते हैं।
टाइटैनिक का मलबा अटलांटिक महासागर के तल पर 3,800 मीटर (12,500 फीट) नीचे है। मलबा कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के तट से लगभग 600 किमी (370 मील) दूर है।
1912 में डूब गया था टाइटैनिक जहाज
अपने समय का सबसे बड़ा जहाज टाइटैनिक 15 अप्रैल 1912 को साउथेम्प्टन (इंग्लैंड) से न्यूयॉर्क तक अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुआ और एक आईसबर्ग (हिमखंड) से टकरा गया था। जहाज पर सवार 2,200 यात्रियों और क्रू में से 1,500 से अधिक की मौत हो गई थी।
समुद्र में इसके मलबे की खोज 1985 में की गई थी। तब से, इसकी बहुत खोजबीन की गई है।
फरवरी में जारी किया गया था वीडियो
इस साल फरवरी में मलबे की पिछली यात्राओं में से एक का वीडियो YouTube पर जनता के लिए जारी किया गया था। इसमें 80 मिनट के अनकट फुटेज थे। फिर मई में जहाज के मलबे का का पहला फुल साइज 3डी स्कैन प्रकाशित किया गया था। हाई रिजॉल्यूशन इमेजेस में मलबे को रीकंस्ट्रक्ट किया गया। इसके लिए डीप सी मैपिंग तकनीक का उपयोग किया गया।
2022 में डीप-सी मैपिंग कंपनी मैगलन लिमिटेड और अटलांटिक प्रोडक्शंस जो प्रोजेक्ट को लेकर डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं, ने फिर रीकंस्ट्रक्शन किया। अटलांटिक के तल पर जहाज के मलबे का सर्वेक्षण करने में 200 घंटे से अधिक समय व्यतीत करने वाले विशेषज्ञों ने रिमोटली कंट्रोल्ड पनडुब्बी से स्कैन बनाने के लिए 7 लाख से अधिक फोटो लिए थे। साउथेम्प्टन, इंग्लैंड से न्यूयॉर्क तक अपनी पहली यात्रा पर एक हिमखंड से टकराने के बाद लग्जरी यात्री लाइनर डूब गया था।