अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को माइक्रोसॉफ्ट और गूगल सहित टॉप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियों के CEOs से मुलाकात की। बाइडेन ने कहा कि किसी भी AI प्रोडक्ट को डिप्लॉय करने से पहले ये एन्श्योर करना होगा कि उनका प्रोडक्ट पूरी तरह से सेफ है।
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस साल काफी चर्चा में है। इसमें चैटजीपीटी जैसे ऐप सबसे आगे हैं। कई कंपनियां इस तरह के प्रोडक्ट बना रही हैं। जो बाइडेन ने भी चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया है। उन्हें चैटजीपीटी पर ब्रीफिंग भी की गई। वहीं ओपनएआई के CEO सैम एल्टमैन ने कहा कि सभी कंपनियां रेगुलेशन पर एक ही तरह की सोच सखती हैं।
ये मीटिंग AI के रिस्क पर फोकस थी। इसमें गोपनीयता का उल्लंघन, एम्प्लॉयमेंट डिस्क्रिमिनेशन, मिस इन्फॉर्मेशन जैसे रिस्क शामिल थे। मीटिंग में कंपनियों को अपने AI सिस्टम के बारे में पॉलिसीमेकर्स के साथ ज्यादा पारदर्शी होने की आवश्यकता पर फ्रैंक और कंस्ट्रक्टिव डिस्कशन किया गया।
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टॉप कंपनियों के CEO's के साथ दो घंटे चली मीटिंग
गुरुवार की दो घंटे की बैठक भारतीय समय के अनुसार रात करीब 9:15 बजे शुरू हुई थी। मीटिंग में गूगल के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, ओपन एआई के सैम ऑल्टमैन और एंथ्रोपिक के डारियो अमोदी के साथ-साथ उपराष्ट्रपति कमला हैरिस शामिल हुईं।
इनके अलावा बाइडेन के चीफ ऑफ स्टाफ और एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिशियल्स भी शामिल थे। हैरिस ने कहा कि टेक्नोलॉजी में जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है, लेकिन यह सुरक्षा और गोपनीयता की चिंता पैदा कर सकती है। उन्होंने CEOs से कहा कि AI प्रोडक्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी कानूनी जिम्मेदारी है।
अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई (बाएं) और OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन मीटिंग में शामिल होने के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे थे।
AI से तबाह हो जाएगी मानवता
गूगल और मेटा सहित कई कंपनियों ने चैटजीपीटी जैसी टेक्नोलॉजी बनाई है, लेकिन ओपन AI ने ही टेक्नोलॉजी को दुनिया से शेयर किया है। कई टेक एक्सपर्ट इस फैसले की आलोचना करते हैं। उनका कहना है, इससे टेक्नोलॉजी को जारी करने की होड़ तेज हो जाएगी। फर्जी जानकारी फैलाने में इसका इस्तेमाल होगा। कुछ कहते हैं, इससे मानवता तबाह हो जाएगी।
नई टेक्नोलॉजी से दुनिया में संपन्नता आएगी
दूसरी ओर चैटजीपीटी पेश करने वाली कंपनी ओपनएआई के CEO सैम एल्टमैन मानते हैं कि नई टेक्नोलॉजी से दुनिया में संपन्नता आएगी। एल्टमैन का तर्क है कि बंद दरवाजे के पीछे टेक्नोलॉजी बनाने, टेस्टिंग करने की बजाय उसे रिलीज करना ज्यादा सुरक्षित है। लोग इसके खतरों को समझेंगे और उससे निपटने के उपाय करेंगे।
अभी ChatGPT सबसे आगे
AI की दुनिया में फिलहाल माइक्रोसॉफ्ट के बड़े निवेश वाली कंपनी OpenAI का ChatGPT सबसे आगे है। चैटजीपीटी को पिछले साल 30 नवंबर को लॉन्च किया गया था और एक महीने के भीतर इसके यूजर्स की संख्या दस करोड़ को पार कर गई थी। चैटजीपीटी एक जनरेटिव AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है सूचनाओं को इकट्ठा कर नया डाटा बनाता है।
ChatGPT से आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। यानी ईमेल लिखने से लेकर CV तक आप इससे बनवा सकते हैं। रील या अपनी वीडियो कैसे वायरल करना है, इसका भी जवाब ChatGPT देता है। वाइफ को क्या गिफ्ट दें, इस पर भी ChatGPT आपको सुझाव देता है।
गूगल के चैटबॉट का नाम बार्ड
गूगल का चैटबॉट बार्ड LaMDA के लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर बेस्ड है। गूगल ने मार्च में ओपन AI के इंटरैक्टिव चैटबॉट चैटजीपीटी के कॉम्पिटिटर 'बार्ड' लॉन्च किया था। हालांकि अभी इसे केवल US और UK में चुनिंदा यूजर्स ही एक्सेस कर सकते हैं। टेस्टिंग के बाद इसे धीरे-धीरे सभी यूजर्स के लिए रोल-आउट किया जाएगा। टेस्ला CEO एलन मस्क भी AI चैटबॉट 'TruthGPT' लॉन्च करने वाले हैं।