कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से करीब 60 किमी दूर है रामनगर। जी हां, ये वही बॉलीवुड फिल्म ‘शोले’ वाला रामनगर (फिल्म में रामगढ़) है। अब ये फिल्म नहीं, बल्कि रामदेवरा बेट्टा की वजह से चर्चा में है, यहां भगवान राम का प्राचीन मंदिर है। ये वो जगह है, जिसे दक्षिण की अयोध्या कहा जाता है।
10 मई को कर्नाटक की 224 सीटों पर वोटिंग है, 13 मई को रिजल्ट आएगा। इससे पहले कर्नाटक की BJP सरकार ने 17 फरवरी को इस मंदिर के डेवलपमेंट के लिए 40 लाख रुपए के बजट का ऐलान कर दिया।
जब दक्षिण की इस अयोध्या को ढूंढते हुए मैं रामनगर पहुंचा, तो नजारा कुछ और ही था। जिस रामदेवरा बेट्टा को भव्य रूप देने की बात कही जा रही है, वो सूना पड़ा है। बेट्टा यानी पहाड़ी और रामदेवरा मतलब राम का मंदिर। मंदिर में ऊपर चढ़ने के लिए करीब 450 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। आधे घंटे की चढ़ाई के बाद मैं पहाड़ी पर बने मंदिर में पहुंचा। वहां सिर्फ चार-पांच भक्त नजर आए।
पुजारी नागाराजू से मुलाकात हुई, तो सरकार की घोषणा से जुड़े सवाल पर बोले- ‘मंदिर को भव्य बनाने की बात तो कई साल से की जा रही है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इस बार चुनाव के पहले फिर कह दिया गया है। BJP के कुछ नेता आए भी थे, लेकिन जब तक काम नहीं हो जाता, कुछ कह नहीं सकते।’ ये कहते हुए नागाराजू के चेहरे पर निराशा नजर आती है।
‘इलेक्शन से पहले का ऐलान है, इसलिए हमें भरोसा नहीं’
पुजारी नागाराजू के बाद मेरी मुलाकात रामदेवरा बेट्टा मंदिर के ट्रस्टी नरसिम्हा से हुई। नरसिम्हा भी BJP सरकार की घोषणाओं से उत्साहित नजर नहीं आते, कहते हैं- ‘40 लाख रुपए सैंक्शन हो गए हैं, लेकिन अब तक काम कुछ नहीं हुआ। मंदिर में बेसिक फैसिलिटी जैसे- पीने का पानी, टॉयलेट, CCTV तक नहीं हैं। इसलिए हम BJP पर भरोसा नहीं करते, लेकिन मंदिर बनता है तो इस एरिया का डेवलपमेंट जरूर हो जाएगा।’
नरसिम्हा और बात नहीं करना चाहते थे, वे सरकार की अनदेखी से नाराज थे। मैं उन पहाड़ियों की तरफ चला गया, जहां 1975 में रिलीज हुई ‘शोले’ फिल्म की शूटिंग हुई थी। रामनगर में जिस जगह रामदेवरा की पहाड़ी है, वहीं कुछ कच्चे घर भी हैं। यहीं शूटिंग हुई थी।
फिल्म 'शोले' की शूटिंग रामनगर के इन्हीं पहाड़ों में हुई थी। इसकी यादों के तौर पर यही पहाड़ बाकी हैं, जिन्हें लोग देखने आते हैं।
ऊंची-ऊंची चट्टानों, धूल भरे मैदान और फॉरेस्ट एरिया को देखकर अब भी फिल्म के कई सीन याद आने लगते हैं। हालांकि फिल्म से जुड़ी, जो चीजें यहां पहले थीं, अब वो सब खत्म हो चुकी हैं।
सच तो ये है कि अब रामनगर बदल चुका है। यह गांव नहीं बल्कि जिला है, जिसमें चार विधानसभाएं आती हैं। ‘शोले’ की शूटिंग के लिए जो सेट खड़ा किया गया था, उसे तो सालों पहले ही डिमॉलिश किया जा चुका है। हालांकि अब भी लोग उन रास्तों, पत्थरों और चट्टानों को देखने पहुंचते हैं, जो उन्होंने मूवी में देखे थे।
'शोले' से जुड़ी ज्यादातर चीजें अब खत्म हो चुकी हैं, फिर भी रामनगर फिल्म की वजह से मशहूर है। यहां फिल्म के नाम पर एडवेंचर कैंप चल रहे हैं।
देवगौड़ा परिवार के खिलाफ उतरा विदेश से पढ़कर लौटा नौजवान
रामदेवरा बेट्टा के बाद मैं रामनगर टाउन पहुंचा। यहां ठीक-ठाक डेवलपमेंट नजर आया। सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है। पक्की सड़क है, बस स्टैंड है। हालांकि यह डेवलपमेंट सिर्फ मेन रोड तक ही है। शहर से थोड़ी ही दूर गांवों तक बेसिक सुविधाएं आज भी नहीं पहुंची हैं।
बस स्टैंड पर खड़े एक ऑटो ड्राइवर से पूछा, ‘सरकार कैसा काम कर रही है?’ जवाब मिला- ‘बस स्टैंड, सड़क JDS (जनता दल सेकुलर) वालों ने बनवाई है, ज्यादा कुछ नहीं हुआ। JDS ने देवगौड़ा परिवार के ही निखिल कुमारस्वामी (एचडी देवगौड़ा के पोते) को टिकट दे दिया है, लेकिन वो हमें जानते ही नहीं।’
रामनगर का बस स्टैंड, लोगों के मुताबिक, यहां डेवलपमेंट के नाम पर ये स्टैंड, सड़कें और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है।
उधर BJP ने रामनगर में इस बार सिर्फ राम मंदिर का दांव ही नहीं चला है, बल्कि परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ विदेश से पढ़े गौतम गौड़ा को मैदान में उतारा है। गौतम वोक्कालिगा कम्युनिटी से आते हैं। रामनगर में वोक्कालिगा डिसाइडिंग फैक्टर माने जाते हैं।
BJP से जुड़े एक लोकल नेता ने बताया, 'साउथ कर्नाटक में हर बार डमी कैंडिडेट उतारे जाते थे, क्योंकि हाईकमान मानकर चलता था कि यहां BJP जीत नहीं सकती। इस बार दिल्ली से सबसे ज्यादा प्रेशर साउथ कर्नाटक की सीटें जीतने पर ही है। इसलिए कैंडिडेट्स के सिलेक्शन में बहुत ध्यान रखा गया है।'
साउथ कर्नाटक में 66 सीटें हैं। पिछले चुनाव में BJP सिर्फ 15 सीटें जीत पाई थी...
BJP के जिला अध्यक्ष देवराज कहते हैं, ‘रामनगर जिले की चारों विधानसभा में इस बार BJP जीतने जा रही है। हमारे राम मंदिर को लोकल के सभी लोग सपोर्ट कर रहे हैं।’
देवगौड़ा परिवार का हमेशा सहारा बना रामनगर
सिल्क टाउन कहे जाने वाले रामनगर में 2004 से लगातार JDS कैंडिडेट जीत रहे हैं। JDS में भी देवगौड़ा परिवार का ही कोई न कोई कैंडिडेट यहां से चुनाव लड़ता है और जीतता है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को भी पहली कामयाबी रामनगर से ही मिली थी।
उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी भी 1994 में सथानुर से हार के बाद रामनगर आ गए थे और 2004 में यहीं से जीते थे। कुमारस्वामी दो बार मुख्यमंत्री बने, दोनों बार यहीं से विधायक चुने गए थे। 2018 में उन्होंने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। बाद में रामनगर सीट को छोड़ दिया, फिर यहां से उनकी पत्नी अनीता कुमारस्वामी विधायक बन गईं।
इस बार एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल रामनगर से किस्मत आजमा रहे हैं। निखिल 2019 के लोकसभा चुनाव में एक्ट्रेस रहीं सुमनलता अंबरीश से 1.25 लाख वोट से हार गए थे। इसलिए इस बार उनके लिए सबसे सुरक्षित सीट चुनी गई है। हालांकि, आम लोगों में उनकी ऐसी पकड़ नजर नहीं आती जैसी एचडी देवगौड़ा और एचडी कुमारस्वामी की रही है। लोगों का ये भी कहना है कि निखिल लोकल लोगों के नाम तक नहीं जानते।
कांग्रेस ने यहां वोक्कालिगा और मुस्लिम कम्युनिटी के वोटों पर दांव चला है। पार्टी ने यहां से सीनियर लीडर इकबाल हुसैन को टिकट दिया है। माना जा रहा है कि निखिल को जिताने के लिए कांग्रेस ने इकबाल हुसैन को आगे कर दिया है।
रामनगर जिले पर BJP का फोकस क्यों…
रामनगर जिले पर BJP बहुत ज्यादा फोकस इसलिए भी कर रही है, क्योंकि इस जिले में आने वाली कनकपुरा विधानसभा से कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार और चन्नापटना विधानसभा से JDS के एचडी कुमारस्वामी मैदान में हैं। कुमारस्वामी के बेटे निखिल रामनगर से ही मैदान में हैं।
12 मार्च, 2023 को PM नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था, जो इस जिले से निकलता है। लोगों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे बनने के बाद से उनका रोजगार कम हो गया है, क्योंकि गाड़ियां सीधे निकल जा रही हैं।
BJP डेवलपमेंट के साथ धर्म का तड़का लगाना चाहती है, ताकि हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके। इस क्षेत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार का भी अच्छा प्रभाव है। डीके शिवकुमार भी वोक्कालिगा कम्युनिटी से आते हैं। उनके भाई डीके सुरेश यहां से सांसद हैं। BJP लोगों से कह रही है कि इतने साल से कांग्रेस और JDS को मौका दिया, अब एक बार हम पर भी भरोसा करके देखो।
‘यहां राम नहीं चलेंगे, वो नॉर्थ में ज्यादा पॉपुलर’
रामनगर के सीनियर जर्नलिस्ट रमेश कहते हैं कि ‘रामनगर में BJP राम मंदिर का मुद्दा उठा जरूर रही है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखता। यह मुद्दा इलेक्शन के कारण टेम्परेरी क्रिएट किया गया है।’
उधर, JDS के स्पोक्सपर्सन नरसिम्हा मूर्ति का कहना है, ‘रामनगर में लोगों को मंदिर नहीं चाहिए। हमें इंजीनियरिंग कॉलेज, हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज और रोजगार चाहिए। मंदिर यहां सालों से हैं।’
राम मंदिर के मुद्दे पर पार्टियों से जुड़े लोग क्या कहते हैं...
मुस्लिमों और OBC के भरोसे कांग्रेस
राम मंदिर का मुद्दा उठाकर BJP की कोशिश वोक्कालिगा वोटों को अपने साथ जोड़ने की भी है। यहां मुस्लिम भी निर्णायक होते हैं, जिन्होंने कभी BJP को वोट नहीं दिया। ऐसे में BJP प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभाएं कराना चाहती है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का कहना है कि रामनगर में मंदिर बनाने से पहले BJP को विधानसभा में अपना ऑफिस बनाने के बारे में सोचना चाहिए।
कांग्रेस के रामनगर से उम्मीदवार एचए इकबाल हुसैन 2018 में एचडी कुमारस्वामी से करीब 22 हजार वोट से हारे थे। इसके बावजूद पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। कांग्रेस को लगता है कि इकबाल को मुस्लिम वोट एकतरफा मिलेंगे, साथ ही OBC वोट भी मिल जाएंगे। हिंदू वोट तीनों पार्टियों में बंटेंगे, जिससे कांग्रेस का जीतना आसान हो जाएगा।
वोक्कालिगा तय करते हैं जीत-हार
रामनगर विधानसभा में वोक्कालिगा कम्युनिटी का दबदबा है। यहां वोक्कालिगा की आबादी करीब 15% है। इसके बाद एससी, एसटी और फिर मुस्लिमों का नंबर आता है। यह JDS और कांग्रेस का गढ़ रहा है। BJP यहां कभी नहीं जीती।
BJP ने इस बार यहां परिवारवाद का मुद्दा उठाया है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक बार-बार देवगौड़ा परिवार पर हमला बोल रहे हैं। ऐसे में रामनगर से निखिल कुमारस्वामी के लिए जीतना मुश्किल हो गया है।
BJP ने निखिल के खिलाफ गौतम गौड़ा को टिकट दिया है। वे लंबे वक्त से संगठन में काम कर रहे हैं और बेदाग छवि के हैं। पार्टी को उम्मीद है कि परिवारवाद की राजनीति को पसंद नहीं करने वाले गौतम के पक्ष में जा सकते हैं।
टीपू सुल्तान के वक्त शमशेराबाद था रामनगर
रामनगर को टीपू सुल्तान के शासन में रामनगर टाउन शमशेराबाद के नाम से पहचाना जाता था। इसे पूर्व सीएम केंगल हनुमंथैया ने रामनगर नाम दिया। करप्शन के आरोपों के बाद उनके खिलाफ उनके विधायकों ने ही वोटिंग कर दी थी और वो हार गए थे। हनुमंथैया के बाद एचडी देवगौड़ा ने 1994 में रामनगर से चुनाव जीता। इसके बाद से ही रामनगर JDS का गढ़ बन गया, जो आज तक बना हुआ है।
कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग, लिंगायत और वोक्कालिगा सबसे असरदार कम्युनिटी...