7th क्लास में स्कूल में रेस प्रतियोगिता में फर्स्ट आई थी। टीचर से तारीफ मिलने के बाद घर से करीब 7 किलोमीटर दूर स्कूल ग्राउंड में प्रैक्टिस के लिए जाने लगी। इस पर घरवालों के ही कुछ लोगों ने टोकना शुरू कर दिया था।
वे मां से कहते थे -
लड़कियों को क्यों अकेला भेजती हो। कुछ गलत हो गया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी। इन्हें रोटी-सब्जी बनाना सिखाओ। कौनसा दौड़कर पीटी उषा बन जाएगी।
खुश किस्मत रही कि नाते-रिश्तेदारों की बातों को अनसुना कर मां ने हमेशा मेरा साथ दिया। शादी के बाद पति और ससुराल वालों ने भी सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने का मौका दिया।
ये कहना है, एथलेटिक्स में नेशनल प्लेयर रह चुकी किरण सारण का। किरण आज पाली के सुल्तान स्कूल में बतौर PTI काम कर रही है। उन्होंने बताया कि 2018 में लास्ट नेशनल टूर्नामेंट बैंगलुरु में खेला था। इसके बाद सरकारी नौकरी लगने पर कोच के पद जॉइन किया। पहली पोस्टिंग पाली में ही रही।
उन्होंने पाली से 20 स्टेट लेवल खिलाड़ी तैयार किए हैं। जिन्होंने साल 2021 में 8-9 सितम्बर को श्रीगंगानगर में स्टेट चैम्पियनशिप में भाग लिया था। जिसमें से सुनील जाट ने 100 मीटर दौड़ और रंजीन बाला ने 200 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था। रंजनी ने 100 मीटर में कांस्य पदक जीतकर पाली का नाम रोशन किया था। किरण को महिला दिवस पर जयपुर में सम्मानित किया जा चुका है।
एथलेटिक्स में नेशनल प्लेयर रह चुकी किरण सारण ने कई मेडल जीते हैं। 2018 में लास्ट नेशनल टूर्नामेंट खेला था।
वे एक छोटे से गांव से निकलकर कैसे नेशनल प्लेयर बनी और कैसे सरकारी नौकरी का सफर तय किया। अपने इस संघर्ष और अनुभव को भास्कर के साथ साझा किया...
किरोज अपने सपनों को मारना पड़ता है। खिलाड़ी बनने के लिए कई बार हारना पड़ता है...। उनके लिए भी ये सफर इतना आसान नहीं रहा। घर में आर्थिक तंगी इतनी थी कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में तो बिना जूतों के दौड़ लगाई थी। उनका कहना है कि स्टेट के बाद अब नेशनलाड़ी तैयार करने का सपना है।
पाली के बांगड़ स्टेडियम में स्टूडेंट को प्रैक्टिस करवाती कोच किरण सारण।
झोपड़े में रहकर चिमनी में की पढ़ाई
किरण ने बताया कि वह चूरू के एक छोटे से गांव जयसंगसर (सरदार शहर) की रहने वाली है। गांव में उनके खेत में दो झोपड़े बने हुए थे। उसी में पूरा परिवार माता-पिता और हम 5 भाई-बहन रहते थे। वह दूसरे नंबर की है। एक बड़ी बहन है। उन्होंने बताया कि लाइट नहीं होने के कारण चिमनी और लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते थे।
सुबह 4 बजे उठकर गाय का दूध निकालती थी
खेत में तीन-चार गाय थी। बड़ी बहन के साथ सुबह 4 बजे उठकर गायों का दूध निकालकर डेयरी देने जाते थे। ये उनके रूटीन में शामिल था। रविवार को छुट्टी के दिन खेत के काम-काज में मां की हेल्प करती थी। किरण ने बताया कि पिता रामलाल ग्वार के व्यापारी थे। घाटा लगने के कारण गांव छोड़कर अहमदाबाद में नौकरी करने चले गए थे। पीछे से मां ने मनरेगा में मजदूरी करना शुरू कर दिया था। इस तरह घर का खर्च चलता था।
पाली जिले के बाला स्कूल मैदान में स्टूडेंट को प्रैक्टिस करवाती पीटीआई किरण सारण। फाइल फोटो
7th क्लास से की खेल की शुरुआत
किरण ने बताया कि उनकी लाइफ में खेल की शुरुआत 7th क्लास में रेस प्रतियोगिता से हुई थी। प्रतियोगिता में फर्स्ट आने के बाद टीचर ने काफी तारीफ और हौसला अफजाई की थी। इसके बाद स्कूल ग्राउंड में प्रैक्टिस के लिए जाने लगी थी। इसके लिए घर से करीब 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। उनके साथ बड़ी बहन सुमित्रा भी होती थी।
मां को कहते थे, लड़कियों को बाहर क्यों भेजती हूं
ये सब इतना आसान नहीं था। परिवार के ही कुछ लोग टोकने लगे थे। मां को भी शिकायत करते थे। उन्हें भी मना करते थे कि लड़कियों को बाहर क्यों भेज रही हूं। कुछ गलत हो गया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इनसे घर का काम करवाओ। रोजी-सब्जी बनाना सिखाओ। ताकि तेरी मदद हो सकें। दौड़ते-दौड़ते कौनसी पीटी उषा बन जाएगी। लेकिन मां ने हमेशा हमारा साथ दिया।
पाली जिले के बांगड़ स्टेडियम में स्टूडेंट को पुसअप की प्रैक्टिस करवाती पीटीआई किरण सारण।
स्टेट लेवल प्रतियोगिता में नंगे पैर दौड़ी
किरण ने बताया कि प्रतियोगिता के लिए जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थी। स्टेट लेवल प्रतियोगिता के दौरान दोनों बहनें नंगे पैर दौड़ी थीं। आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि दोनों बहनों के बीच एक ड्रेस होती थी। प्रतियोगिता के दौरान दोनों उसे ही पहनती थी।
ससुराल वालों ने साथ दिया, साल 2019 में सरकारी नौकरी लगी
किरण ने बताया कि साल 2013 में सीकर के रहने वाले वीरेंद्र कुमार से शादी हो गई थी। 2015 में बेटा अतुल पैदा हुआ था। शादी के बाद से ही लगने लगा था कि करियर खत्म हो जाएगा। घर की चारदीवारी और रसोई में ही लाइफ गुजर जाएगी। पति और ससुराल के लोगों से बात की। शिक्षा विभाग से रिटायर ससुर गजराज सिंह ने उन्हें BPEd करवाई। साल 2019 में सरकारी नौकरी लग गई। आज वे रिश्तेदार भी तारीफ करते हैं, जो मां को ताना मारते थे।
किरण अपनी नानी और मां सोनादेवी के साथ। ये साल 2014 का फोटो है।
किरण सारण की उपलब्धियां
- साल 2006 में भीलवाड़ा में स्टेट लेवल टूर्नामेंट में 2 हजार मीटर रनिंग में सिल्वर मेडल जीता था।
- साल 2007 में जयपुर में स्टेट टूर्नामेंट में खेलते हुए रेस वॉकिंग में सिल्वर मेडल जीता था।
- साल 2007-08 में पहला नेशनल मुंबई में खेलते हुए रेस वॉकिंग में भाग लिया। जिसमें पांचवां स्थान रहा।
- साल 2018 में लास्ट नेशनल टूर्नामेंट बैंगलुरु में खेला। दो साल के बेटे को साथ लेकर गई थी।
किरण अपने पति वीरेंद्र कुमार और बेटे अतुल के साथ। फिलहाल किरण पाली के राजेंद्र नगर में ही परिवार के साथ रहती है।
5 भाई-बहन सभी नेशनल खिलाड़ी, दो सरकारी नौकरी में
किरण सारण 5 भाई-बहनों में दूसरे नम्बर पर है। बड़ी बहन सुमित्रा भी एथलेटिक्स में नेशनल प्लेयर है और वर्तमान में सीकर जिले में सरकारी स्कूल में ग्रेड थर्ड टीचर है। किरण से छोटा भाई जयप्रकाश नागपुर से बीपीएड कर रहा है। वह भी एथलेटिक्स नेशनल खिलाड़ी है। उससे छोटी बहन ललिता आगरा से बीपीएड कर रही है और वह भी स्टेट लेवर की बॉक्सर है। सबसे छोटा भाई जगदीश बीएड कर रहा है। वह भी एथलेटिक्स नेशनल प्लयेर है।
पाली जिले के बाल स्कूल मैदान में स्टूडेंट को दौड़ने का अभ्यास करवाती पीटीआई किरण सारण। फाइल फोटो
इंस्टाग्राम पर डेढ़ लाख फॉलोअर्स
PTI किरण सारण सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती है। खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के अपने वीडियो अपलोड करती रहती है। इंस्टाग्राम पर इनकी फैन फॉलोविंग डेढ़ लाख से ज्यादा है। देश भर से कई युवा लड़के-लड़कियां खेल में करियर बनाने और अपने खेल को कैसे बेहतर किया जा सकता है, इसकी राय भी लेते हैं।