जोधपुर में दो बहनों के किडनैप मामले में पकड़ा गया आरोप हितेंद्र पाल उत्तराखंड का कुख्यात गैंगस्टर निकला। उस पर 17 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं।
यही नहीं, हितेंद्र चौंकाने वाला खुलासा भी किया कि उसने ही एके-47 से संत ज्ञानेश्वर का मर्डर किया था। संत का मर्डर 2006 में हुआ था।
इधर, जब पुलिस ने उसका मोबाइल खंगाला तो और भी हैरान कर देने वाले खुलासे हुए। हितेंद्र ने 9 स्टेट की लड़कियों को ऐप के जरिए अपने जाल में फंसा रखा है। उसकी फ्रेंड लिस्ट में करीब 500 लड़कियां थीं। इन्हीं में से उसने 10 को शादी का झांसा देकर उनके साथ रिलेशन बनाए थे।
जोधपुर डीसीपी अमृता दुहन ने बताया कि हितेंद्र ने पूछताछ में बताया कि वह दिव्यांग और साधारण लड़कियों या फिर कम सुंदर दिखने वाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था। ओला पार्टी फ्रेंडशिप ऐप पर उसने अंश नाम से फर्जी आईडी बना रखी थी। यहां पहले लड़कियों से दोस्ती करता और इसके बाद शादी का झांसा देकर रेप करता था। हर बार वह अपना नाम और पहचान छिपाता था। उसने फर्जी आईडी और दूसरे दस्तावेज के जरिए कई शहरों में फरारी काटी। लड़कियों के पैसों पर ही वह अय्याशी करता था।
लड़कियों के पैसों से अय्याशी
हितेंद्र लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर उनके पैसों से अय्याशी करता था। वह किसी भी शहर में 15-20 दिन से ज्यादा नहीं रहता था। अपनी आईडी व पहचान बदलता रहता था। सोशल मीडिया पर ओला पार्टी एप पर वह खुद को बड़ा बिजनेसमैन बताता था।
दिल्ली, असम, बिहार, पुणे , महाराष्ट्र, राजस्थान में जयपुर जोधपुर, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड के शहरों की लड़कियों को वह अपने जाल में फंसा चुका था। अपराधी इतना शातिर था कि खुद के नाम से कोई सिम या बैंक खाता ऑपरेट नहीं करता था।
जिन लड़कियोंं से दोस्ती करता या रिलेशन बनाता था उन्हीं की आईडी से सिम लेता और बैंक खाते खुलवाता था। वह खुद को बड़ा बिजनेसमैन बताता था। कई लड़कियोंं को वह बता चुका था कि उसका लकड़ियों का बड़ा बिजनेस है। लड़कियों को झांसा देता था कि वह उनसे शादी कर लेगा और उनकी हर तरह से मदद करेगा।
आरोपी हितेंद्र पाल ओला फ्रेंडशिप ऐप पर फर्जी आईडी बनाकर लड़कियों से जान पहचान बढ़ाता था। दोस्ती और प्यार का झांसा देकर रेप करता। वह साधारण लड़कियों को चुनता जो आसानी से उसकी शिकार बन जाती थीं। वह खुद को बिजनेसमैन बताता था।
ओला पार्टी फ्रेंडशिप ऐप से दोस्ती
जोधपुर से दो बहनों को लेकर हितेंद्र भोपाल भाग गया था। उसने फर्जी दस्तावेज भी बनवा लिए थे जिसमें एक को पत्नी और दूसरी को बहन बताया था। जोधपुर पुलिस जब हितेंद्र को भोपाल से पकड़ कर लाई तो उससे कई खुलासे किए। दुहन ने बताया कि 18 नवंबर को जोधपुर के माता के थान में एक पिता ने दो बेटियों के गायब होने का मामला दर्ज करवाया था।
पिता ने बताया कि उनकी एक 21 और एक 16 साल की बेटी है। 16 नवंबर को 3 बजे कहीं चली गईं। जब उन्होंने अपने स्तर पर पड़ताल की तो सामने आया कि उनका किराएदार हितेंद्र पाल (43) लेकर भाग गया है। हितेंद्र की दोस्ती उनके लड़के से ओला पार्टी फ्रेंडशिप ऐप के जरिए हुई थी।
यूपी में 10 फरवरी 2006 को महाकुंभ से लौटते समय हड़िया में संत ज्ञानेश्वर के काफिले पर हमला हुआ था। इसमें ज्ञानेश्वर समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। हितेंद्र पाल का दावा है कि उसने एके 47 से संत का मर्डर किया था।
क्या है संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि आरोपी ने कहा है कि वह संत ज्ञानेश्वर मर्डर में शामिल था और एके 47 से उसने मर्डर किया था। दरअसल 10 फरवरी 2006 को महाकुंभ से लौटते समय यूपी के हड़िया में संत ज्ञानेश्वर के काफिले पर हमला हुआ था। इसमें स्वयं ज्ञानेश्वर, शिष्याएं नीलम, मिथिलेश, पूजा, पुष्पा, गंगा के अलावा ओमप्रकाश तथा रामचंद्र की मौत हो गई थी। इन आठ मौतों के लिए संत के भाई इंद्रदेव ने पूर्व विधायक चंद्रभद्र व प्रमुख यशभद्र को नामजद किया। विवेचना में अखिलेश सिंह, विजय यादव, डब्बू सिंह का नाम आया। बाद में डब्बू पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
इलाहाबाद में बंद यशभद्र पेशी पर आया तो सुल्तानपुर की अदालत परिसर में उन पर बम से हमले का प्रयास हुआ। इसमें बहराइच का मदन कुशवाहा बारूद की बेल्ट पहने गिरफ्तार हुआ था। इलाहाबाद में पेशी पर जाते समय पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू व प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू पर बमबारी हुई थी, जिसमें संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड के गवाह राम सहाय सहित आठ नामजद हुए। मुकदमा चला तो इलाहाबाद में पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सोनू व प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू सहित सारे लोग बरी हो गए थे।
19 साल पहले हितेंद्र ने बैडमिंटन प्लेयर मनोज तिवारी की हत्या की थी। पुलिस कस्टडी में रंजिश में उसके पेट में दो गोलियां लगीं, लेकिन जान बच गई थी।
संत की हत्या में शामिल या प्रबंधक की, जांच का विषय
हितेंद्र ने ही कबूल किया कि उस पर 17 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह भी बताया कि उसने AK-47 से बाराबंकी में संत ज्ञानेश्वर की हत्या की थी। पुलिस इस मामले में बाराबंकी पुलिस से तस्दीक कर रही है। दरअसल ज्ञानेश्वर की हत्या यूपी के हड़िया में हुई थी। आरोपी ने बाराबंकी में मर्डर की बात कही है जबकि बाराबंकी में 8 साल पहले संत ज्ञानेश्वर के प्रबंधक राम सहाय सिंह की हत्या हुई थी।
8 साल पहले यूपी के बाराबंकी में कोठी थाना क्षेत्र के रैसड़ा इलाके स्थित संत ज्ञानेश्वर आश्रम के प्रबंधक राम सहाय सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह संत ज्ञानेश्वर के उत्तराधिकारी भी थे। संत ज्ञानेश्वर और उनके मर्डर के बाद प्रबंधक का सुल्तानपुर के बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र व प्रमुख यशभद्र (सोनू-मोनू) से विवाद चल रहा था।
संत ज्ञानेश्वर के आश्रम में कुछ बदमाश हथियार के साथ घुस गए थे। उन्होंने प्रबंधक राम सहाय सिंह पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर फरार हो गए थे।
डीसीपी अमृता दुहन ने बताया कि आरोपी हितेंद्र ने कई शहरों में लड़कियों को ऐप के जरिए फंसाया, दोस्ती प्यार और शादी का झांसा दिया और शारीरिक संबंध बनाए। लड़कियों के पैसों पर ही वह अय्याशी करता था।
22 साल की उम्र में पहला मर्डर
उत्तराखंड का मोस्ट वांटेड हार्डकोर अपराधी हितेद्र पाल ने पहला मर्डर 22 वर्ष की उम्र में कर दिया था। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के काशीपुर निवासी हितेंद्र पाल गडरिया बैडमिंटन खेलता था। 2003 में काशीपुर स्टेडियम में बैंडमिंटन प्लेयर मनोज तिवारी से विवाद के बाद हत्या कर दी।
2005 में जेल में सजा काटने के दौरान गैंग लीडर मिंटू चौधरी से झगड़ा हो गया। हितेंद्र ने मिंटू के भाई खंडूरी की हत्या कर दी। मिंटू की गैंग ने बदला लेने के लिए पुलिस कस्टडी में हितेंद्र पर हमला कर दिया। हितेन्द्र को दो गोलियां लगीं। दोनों शरीर के आर-पार निकल गई थीं लेकिन इलाज से इसकी जान बच गई। इन गोलियों के निशान हितेन्द्र के शरीर पर अभी भी हैं।
आरोपी हितेंद्र को जोधपुर पुलिस ने भोपाल से पकड़ा और दोनों बहनों को उसके चंगुल से मुक्त कर परिजनों को सौंप दिया।
माता का थान थानाधिकारी राजू राम बामणिया ने बताया कि 18 नवंबर को जैसे ही रात में सूचना मिली की दो बहनों का अपहरण हो गया है। रात एक बजे डीसीपी को मैसेज किया और सुबह 8 बजे टीम एक्टिव हो गई और 3 दिन में आरोपी को पकड़ कर दोनों लड़कियों को छुड़वा कर उनके परिवार को सुपुर्द कर दिया गया।
पुलिस कमिश्नर रविदत्त गौड़ के निर्देश पर डीसीपी अमृता दुहन ने अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त नाजीम अली, निशांत भारद्वाज, माता का थान थानाअधिकारी राजूराम बामणिया, डीएसटी पूर्व प्रभारी दिनेश डांगी की टीम ने इस मामले का खुलासा किया।
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उत्तराखंड का एक गैंगस्टर जोधपुर से दो बहनों को लेकर फरार हो गया। दोनों के साथ बारी-बारी से रेप किया। पिता ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई तो पुलिस ने जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपी दोनों बहनों को लेकर भोपाल फरार हुआ था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में सामने आया कि वह उत्तराखंड का वांटेड है। तीन राज्यों की पुलिस को उसकी तलाश थी। (पूरी खबर पढ़ें)