मुख्तार अब्बास नकवी, उम्र 64 साल, राजनीति में 47 साल का अनुभव। बीजेपी में सुनाई देने वाले चुनिंदा मुस्लिम नामों में से एक। राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होते ही नकवी ने केंद्रीय मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन ये इस्तीफा किसी बड़े प्रमोशन की तैयारी लग रही है। खबरें हैं कि नकवी को NDA की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है या फिर उन्हें जम्मू-कश्मीर के गवर्नर के तौर पर जिम्मेदारी दी जा सकती है।
ऐसे में हमने मुख्तार अब्बास नकवी से उनकी अगली पारी, देश के सांप्रदायिक हालात और राजनीति में मुसलमानों की अगुवाई पर खास बातचीत की हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू...
सवाल- चर्चा है कि आपको एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा या जम्मू कश्मीर का राज्यपाल?
मैं पूरी तरह अनजान हूं। मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
सवाल- तीन बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। इस बार आपको राज्यसभा नहीं भेजा जा रहा है। शीर्ष नेतृत्व की तरफ से किसी बड़े पद के लिए कोई भरोसा तो दिया गया होगा?
17 साल की उम्र से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में हूं। बीजेपी के साथ सालों से काम कर रहा हूं। कई बार चुनाव जीता भी और हारा भी। राजनीति में अपेक्षाएं करनी चाहिए, लेकिन बहुत ज्यादा अपेक्षाएं नहीं करनी चाहिए। अगर कोई जिम्मेदारी मिलती है तो उसे मजबूती के साथ निभाना होता है।
सवाल- देश के अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए कोई काम, जो आप हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे?
पहली बात, अल्पसंख्यक मंत्रालय का स्वरूप मुस्लिम मंत्रालय के तौर पर बना दिया गया था। इसमें सिर्फ मुसलमान नहीं, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन, सिख भी शामिल हैं। हमने सिर्फ मुसलमानों के साथ नहीं, सभी के साथ काम किया है। सम्मान के साथ और बिना तुष्टिकरण के सशक्तिकरण के साथ काम किया है। कोई विरोधी ये आरोप नहीं लगा सकता है कि मोदी सरकार ने किसी के साथ भेदभाव किया। अगर अल्पसंख्यकों को सियासी चक्रव्यूह में फंसा कर रखेंगे तो उनका भला नहीं होगा।
सवाल- मुसलमानों की जनसंख्या करीब 16% है, लेकिन अब मोदी सरकार में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व शून्य हो गया है। इसे कैसे देखते हैं?
यह शपथ नहीं ली थी कि मैं मुसलमानों के विकास के लिए काम करने वाला हूं। सभी मंत्रियों ने संवैधानिक रूप से समाज के सभी वर्गों के लिए, खासतौर पर आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास के लिए संकल्प लिया है।
केंद्र की नीति और नीयत 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' की रही है। मुस्लिम समाज का आजादी से अब तक राजनीतिक शोषण ही किया गया है, लेकिन राजनीतिक सशक्तिकरण नहीं किया गया।
पीएम मोदी ने 3.31 करोड़ लोगों को आवास योजना के तहत घर दिया है। इसमें 31% अल्पसंख्यकों को घर मिले हैं। किसान सम्मान निधी में भी अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी 33% है। मुद्रा योजना का 35% लाभ अल्पसंख्यकों को मिला है। जब हमने विकास में भेदभाव नहीं किया तो कोई भी समुदाय हमें वोट देने में भेदभाव क्यों करें।
सवाल- हाल ही में मोहम्मद पैंगबर को लेकर पार्टी प्रवक्ता की तरफ से आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। देश में कई जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा हुई। आरोप है कि नूपुर शर्मा के बयान से ये सब शुरू हुआ?
बीजेपी सरकार में भागलपुर, भिवंडी, गोधरा जैसा कोई दंगा नहीं हुआ है। देश में कोई भी बड़ी आतंकी घटनाएं नहीं घटी है। ये चीजें विरोधियों को हजम नहीं हो रही है। कई लोग शुरू से अवॉर्ड वापसी, असहिष्णुता, लिंचिंग जैसे किस्से कहानियां बनाते रहे हैं। ये माइंडसेट आम मुसलमानों का नहीं है। देश में कुछ ऐसे फ्रिंज एलिमेंट हैं जो सौहाद्र, विकास और शांति के माहौल को खराब करना चाहते हैं।
सांप्रदायिक हिंसा कहीं भी नहीं होनी चाहिए। इन्हें नियंत्रित करने की नीयत और नीति सही होनी चाहिए। लोग बुलडोजर पर सवाल करते हैं, बलवाइयों पर सवाल नहीं करते हैं। जो लोग धमकी दे रहे हैं, वो इंसानियत और इस्लाम के दुश्मन हैं। इस्लाम तालिबान या अलकायदा नहीं हो सकता।
सवाल- यूपी चुनाव के दौरान सीएम योगी ने 80-20 वाला बयान दिया था। पीएम मोदी भी कब्रिस्तान-श्मशान, कपड़ों से दंगाइयों की पहचान जैसे बयान दे चुके हैं। क्या बीजेपी को मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए?
हम राजनीतिक पार्टी हैं। हमने जब विकास में भेदभाव नहीं किया, तो हमारे साथ वोट में भेदभाव क्यों होना चाहिए। फ्री राशन, मुद्रा योजना, वैक्सीनेशन इन सब में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया गया।
80 पर्सेंट की बात कोई सांप्रदायिक बात नहीं है। यदि सीएम योगी ने कहा कि 80 पर्सेंट वोट हमें चाहिए है तो जब हम बड़ा लक्ष्य रखेंगे तभी हम 40% तक पहुंचेंगे।
सवाल- विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि नूपुर शर्मा वाले बयान पर सरकार को जितनी सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए थी, नहीं की गई। वहीं, ऑल्ट न्यूज के फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर पर कार्रवाई की गई। वो जेल में हैं।
एजेंसी, पुलिस कानून के मुताबिक अपना काम कर रही हैं। सरकार कुछ नहीं कर सकती है। यदि एजेंसी कुछ गलत कर रही हैं तो उसके लिए कोर्ट है। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
सवाल- हिजाब मामला भी काफी विवादों में रहा। क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट नहीं है? आप इसे कैसे देखते हैं?
हिजाब का मुद्दा किसी भी संस्था के ड्रेस कोड से जुड़ा मुद्दा है। हिजाब पर कोई बैन नहीं है। जब आप किसी संस्था में जाते हैं तो उसके नियमों को मानना होता है। जिन लोगों ने हिजाब पर हंगामा करने की कोशिश की, ये उनकी तालिबानी साजिश थी।
सवाल- देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी का रिप्रजेंटेशन यदि राजनीति में खत्म हो जाएगा तो क्या एक वर्ग पर इसका निगेटिव असर नहीं पड़ेगा? क्या इससे देश को भी खतरा है?
मैं ऐसा नहीं मानता हूं। यदि कोई एमपी-एमएलए नहीं बनेगा तो वो आतंकी नहीं बन जाएगा। इस तरह की सोच एक वर्ग को फिर से विकास की धारा से काटने की कोशिश होगी। जिन पार्टियों को बड़ी संख्या में मुसलमानों का वोट मिलता है, वो कितने प्रतिनिधि लाती हैं।
सवाल- बीजेपी चुनावों में मुसलमानों को न के बराबर ही टिकट देती है। क्या जीतना ही सबसे बड़ा फैक्टर है?
मैं बीजेपी के टिकट पर 5 बार चुनाव लड़ा, 4 बार हारा हूं और 1 बार जीता हूं। मैंने पार्टी में अलग-अलग स्तरों पर काम किया है। बीजेपी ने संसद और विधानसभा को मिलाकर देशभर के चुनावों में 350 से ज्यादा टिकट मुसलमानों को दिए हैं। जो मुस्लिम नहीं जीत पाते हैं, पार्टी की कोशिश होती है कि उनको विधानमंडल के जरिए प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सवाल- आपने वाजपेयी और मोदी, दोनों सरकार में बतौर मंत्री काम किया है। क्या फर्क दिखता है?
फर्क साफ है। वाजपेयी का जो संकल्प था, वही संकल्प पीएम मोदी का है। पहले हमारी गठबंधन की सरकार थीं। अब बीजेपी ने अकेले दम पर सरकर बनाई है। मोदी सरकार एक स्थिर सरकार है। यह इकबाल-ईमान-इंसाफ की सरकार है। दिल्ली में सत्ता के गलियारों से सत्ता के दलालों की नाकेबंदी और लूट लॉबी की तालाबंदी हुई है।