लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष की जमानत रद्द हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए आशीष को एक हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है। SC ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना। FIR, पीड़ित परिवार के पक्ष और बाकी तमाम बिंदुओं पर विचार करते हुए आशीष की जमानत तत्काल रद्द की जाती है।
आशीष 15 फरवरी को 129 दिनों बाद जेल से रिहा हुआ था। - फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट की 5 बड़ी बातें
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना।
- आशीष मिश्रा को जमानत जल्दबाजी में दी गई।
- उनको जमानत देने पर वह केस को प्रभावित कर सकते हैं।
- आशीष मिश्रा एक हफ्ते में करे सरेंडर।
- आशीष मिश्रा चाहें तो नए सिरे से इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की फ्रेश याचिका दायर करें।
आशीष के लिए एक राहत भी
आशीष मिश्रा के लिए राहत की एक खबर यही है कि वह फिर से जमानत की अपील कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि नए सिरे से जमानत के लिए वह फिर से इलाहाबाद कोर्ट में फ्रेश याचिका दायर कर सकते हैं। उस पर हाईकोर्ट फिर से विचार कर सकता है। तो, एक दरवाजा आशीष मिश्र के लिए अब भी खुला हुआ है।
आशीष के पास अब ये 4 ऑप्शन
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शाश्वत आनंद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब आशीष के पास 4 ही रास्ते बचते हैं।
- 1-सरेंडर करने की अवधि बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जी डाल सकते हैं।
- 2-सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू/रीकॉल अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
- 3-सुप्रीम कोर्ट से रिव्यू/रीकॉल एप्लीकेशन खारिज होने के बाद 5 जजों के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर सकते हैं।
- 4-सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज होने पर, कुछ समय बाद दोबारा फ्रेश बेल एप्लीकेशन डाल सकते हैं।
शाश्वत आनंद ने कहा कि ये देखने वाली बात होगी कि फ्रेश बेल एप्लीकेशन डालते वक्त, पिछली बेल एप्लीकेशन के बाद से बदली हुई परिस्थितियों को भी दिखाया गया है कि नहीं।
राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, उन्होंने सरकार पर पैरवी में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है।
राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट का दिया धन्यवाद
राकेश टिकैत ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट तो अच्छा ही काम करता है। बशर्ते उसे काम करने दिया जाए। उन्होंने कहा, 'हम धन्यवाद देते हैं सुप्रीम कोर्ट का जो उसने एक सही फैसला दिया। सरकार की तरफ से पैरवी होनी चाहिए। उसकी तरफ से ढिलाई रही। सरकार मंत्री के साथ खड़ी रही। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है।'
129 दिनों तक रहा था जेल में
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दी थी। आशीष 15 फरवरी को 129 दिनों बाद जेल से रिहा हुआ था। बता दें कि लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को किसान-आंदोलन के दौरान ही बवाल हुआ था। तीन गाड़ियां प्रदर्शन कर रहे लोगों को कुचलते हुए चली गई थीं। घटना में चार किसानों सहित कुल आठ लोगों की मौत हुई थी। गाड़ी से कुचलकर मारे गए किसानों के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
तीन अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया स्थित इसी जगह पर हिंसा हुई थी। - फाइल फोटो
आशीष मिश्रा की जमानत खारिज करने की मांग
लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर उसे फिर से जेल भेजे जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी। इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था, चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
लखीमपुर में क्या हुआ था ?
लखीमपुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गांव में 3 अक्टूबर 2021 की दोपहर करीब तीन बजे काफी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अचानक से तीन गाड़ियां (थार जीप, फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो) किसानों को रौंदते चली गईं। घटना से आक्रोशित किसानों ने जमकर हंगामा किया। इस हिंसा में कुल 8 लोगों की मौत हो गई। इसमें 4 किसान, एक स्थानीय पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ता शामिल थे।
यह घटना तिकुनिया में आयोजित दंगल कार्यक्रम में UP के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पहुंचने से पहले हुई। घटना के बाद उप मुख्यमंत्री ने अपना दौरा रद्द कर दिया था। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की कार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचला था।
जमानत पर फैसले के पहले मंत्री-पुत्र ने लगाया जनता दरबार
लखीमपुर हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा ने हाल ही में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी थी। विधानसभा बनबीरपुर में बने अपने ऑफिस में आशीष ने जनता दरबार लगाया। यहां लोग जमीन के विवाद, कब्जे जैसी समस्याएं लेकर पहुंचे थे। आशीष ने लोगों की समस्याएं सुनती हुईं तस्वीरें अपने ट्विटर पर शेयर की। आशीष के इस ट्वीट पर लोगों ने पॉलिटिकल थिंकर, धर्म की रक्षा करने वाला जैसे कमेंट किए। आशीष ने यह जनता दरबार 16 अप्रैल को लगाया था। पूरी खबर यहां पढ़ें...