बून्दी - दिशा सन्देश न्यूज़
ग्लोबल टाईगर डे पर आज उमंग संस्थान द्वारा "बाघ और मानव" विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। श्री महावीर विद्यालय में आयोजित इस परिचर्चा मे भाग लेते हुये छात्र छात्राओं ने राष्ट्रीय पशु बाघ के जीवन और विशेषताओं पर प्रकाश डाला और कहा कि बाघ के लुप्त के प्रमुख कारण जंगलों में पेड़ों की कटाई, बाघों का शिकार, मेडिसिन में बाघ के अंगों का उपयोग और क्लाईमेट चेंज हैं, जिससे कारण बाघ धीरे धीरे लुप्त हो रहे है। बच्चों ने इन्हें बचाने के लिए लोगों को शिक्षित करने की जरूरत बताई।
ग्लोबल टाइगर डे की जानकारी देते हुये संस्थान के सचिव कृष्ण कान्त राठौर ने बताया कि बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने, बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण को बढ़ावा देने और बाघ संरक्षण को समर्थन देने के लिए ग्लोबल टाइगर डे 29 जुलाई को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “बाघ का अस्तित्व हमारे हाथों में है”। राठौर ने कहा कि बाघ मानव के कारण ही लुप्तप्राय होने की कगार पर आ गए हैं, जो मानवीय समझ और शिक्षा से बचाये जा सकते हैं। इन्होंने कहा कि बाघ है तो जंगल हैं और जंगल है तो जैव विविधता हैं।
इस अवसर पर राठौर ने कहा कि रामगढ विषधारी अभ्यारण्य में 90 के दशक तक बाघों की दहाड़ गुंजती थी, सरकार और मानवीय प्रयासों से यह पुनः बाघों से आबाद हो सकता हैं। इन्हीं सकारात्मक प्रयासों के चलते बाघों की संख्या मे निरंतर बढोतरी भी हो रही हैं । यहाँ पर विद्यालय के कुश जिन्दल ने राष्ट्रीय पशु बाघ के जीवन पर बहुपयोगी जानकारी के बारे मे बताया तो संस्थाप्रधान नमिता जिन्दल ने बाघ पर आधारित प्रश्न भी पुछे और बच्चों के प्रश्नों का समाधान भी किया गया।
इस मौके पर संस्थान द्वारा "स्टोरी ऑफ़ टाईगर" विषय पर निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन करवाया गया। यहाँ पर योगेश शर्मा, रानु विजय, रामसिया सैनी, रीना सहित छात्र छात्राऎं मौजुद रहे।