danik bhaskar बांसवाड़ा ,राजस्थान
Publised Date : Monday Aug 16, 2021
बांसवाड़ा शहर से महज 6.5 किलोमीटर दूरी पर गोतमेश्वर (सिंगपुरा) वन क्षेत्र बारिश के बाद बेहद खूबसूरत हो गया है। शहर के बेहद करीब होने के बावजूद यह इलाका आज भी शहरवासियों और पर्यटकों की नजरों से दूर है। यहां झोपड़ी बनाकर रहने वाले ग्रामीणों के अलावा कुछ ही लोगों को इस जगह के बारे में पता है। पहाड़ों के बीच बड़े तालाब में भरा पानी 40 स्टेप से झरना सफेद मोतियों सा बहता है।
अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच प्राकृतिक खूबसूरती।
मानसून की हल्की बारिश में बांसवाड़ा के जंगली इलाकों में सूखे से दिखने वाले पेड़ हरियाली की चादर ओढ़ लेते हैं। शहर से लगती अरावली पर्वत मालाओं में बारिश के साथ प्राकृतिक झरनों का बहना शुरू हो जाता है। घने पहाड़ों के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां की खूबसूरती बेहद सुकून देने वाली होती है। हालांकि, अभी बारिश कम होने से झरने का पानी भी कुछ कम हो गया है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो अभी यह झरना करीब 3 महीने तक चलेगा।
हरी पहाड़ियों और पथरीले रास्तों से मोती की तरह बहता झरना।
इस सुंदरता से बेखबर हैं लोग
कम आबादी वाले गोतमेश्वर गांव से सटे सिंगपुरा जंगल में सागवान वृक्षों के खिलते फूल अपनी खूबसूरती बिखेरते हैं। पहाड़ी इलाके के बीच में पठारी हिस्से में बना प्राकृतिक तालाब भर जाता है। तालाब का पानी ओवरफ्लो होकर निचली पहाड़ियों से गिरता है। प्रकृति की इस खूबसूरती से बहुत ही कम लोग परिचित हैं। यहां आने वाले लोगों की संख्या नहीं के बराबर है। यही कारण है कि झरने से बहने वाला पानी मोती के समान चमकता है। यहां किसी तरह की गंदगी भी नहीं है।
पानी में शाम के समय पहाड़ों की छाया का खूबसूरत नजारा।
कागदी में मिलता है पानी
सिंगपुरा वन क्षेत्र में बहने वाला कागदी फॉल (झरना) करीब 150 फीट ऊंचाई से नीचे गिरता है। पहाड़ों के ऊपरी हिस्से का सारा पानी यहां आकर मिलता है। कागदी फॉल का यह पानी यहां गोतमेश्वर गांव के समीप एक प्राकृतिक तालाब में भरता है। इस तालाब के ओवरफ्लो होने के बाद पथरीले इलाके में बने प्राकृतिक रास्ते से ही यह पानी एक बार फिर निचली पहाड़ियों की ओर बहता है। हालांकि यहां पर इस पानी की ऊंचाई कम होती है, लेकिन पत्थर वाली पहाड़ों के बीच यह मोती जैसा पानी कई स्टेप में नीचे गिरता है, जिससे इसकी खूबसूरती बढ़ जाती है। इसके बाद यह पानी सीधे जाकर कागदी बांध के बेक वाटर इलाके को भरता है। यहां से पानी शहर की पेयजल सप्लाई में काम आता है। पानी की ज्यादा आवक पर इसे कागदी नाले में छोड़ा जाता है।
यहां से महज आधा किलोमीटर आगे है डेस्टीनेशन।
इसलिए साफ सुथरा है
शहर मुख्यालय से सड़क मार्ग से करीब 15 किलोमीटर दूर कागदी फॉल है। वहीं, 30 किलोमीटर के आसपास जुआ फॉल है। 14 किलोमीटर की दूरी पर जगमेर है। ढाई किलोमीटर दूरी पर कड़ेलिया झरना भी है, लेकिन वहां पर पर्यटकों की निरंतर मौजूदगी से गंदगी, प्लास्टिक बढ़ने लगी है। यह इलाका अभी लोगों की जानकारी में नहीं है। इसलिए यहां का पानी तो साफ सुथरा है ही जगह भी बिल्कुल साफ है।
बरसात कम होने के कारण अभी झरने में पानी कम है।
कैमरा पर्सन- भरत कंसारा