रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच ईरान के अस्तारा से रास्त शहर के बीच में 165 किमी लंबे रेलमार्ग पर समझौता हुआ है। यह रेलमार्ग 7200 किमी के इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का हिस्सा है, जो रेल, रोड और समुद्री मार्ग से रूस के सेंट पीटर्सबर्ग को मुंबई से जोड़ेगा।
इस नए रूट के बनने से दोनों शहरों के सफर में 10 दिन का समय बचेगा। परिवहन लागत भी 30% घट जाएगी, क्योंकि स्वेज नहर वाला पारंपरिक रूट 16 हजार किमी का समुद्री मार्ग है। इसमें 40 दिनों का समय लगता है। नए रूट से यह सफर घटकर 30 दिन का ही रह जाएगा।
इंटरनेशनल कॉरिडोर 4 देशों के 10 बडे़ शहरों को जोड़ेगा
1. सेंट पीटर्सबर्ग(रूस) : सेंट पीटर्सबर्ग से इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर शुरू।
2. मॉस्को (रूस): सेंट पीटर्सबर्ग से मॉस्को के बीच 701 किमी में एम-1 हाइवे, रेलमार्ग सेवा है।
3. अस्त्राखान (रूस): मॉस्को-अस्त्राखान में 1398 किमी दूरी, ई-119 हाइवे व रेल लाइन भी है।
4. बाकू (अजरबैजान): अस्त्राखान से बाकू शहर तक 899 किमी लंबा ई-119 हाइवे, रेल लाइन है।
5. अस्तारा (ईरान): बाकू शहर से अस्तारा शहर तक 289 किमी में ई-119 हाइवे व रेल लाइन है।
6. रास्त (ईरान): अस्तारा से रास्त तक 165 किमी में सिर्फ सड़क है। रेल ट्रैक का निर्माण जारी है।
7. तेहरान (ईरान): रूट का मुख्य जंक्शन, रास्त से यहां तक 320 किमी में रोड और रेल दोनों हैं।
8. बाक्फ (ईरान): तेहरान से बाक्फ तक 745 किमी में रोड, सिंगल रेल लाइन की सुविधा है।
9. बंदर अब्बास (ईरान): बाक्फ से यहां तक 618 किमी में रोड के साथ-साथ डबल रेल लाइन है।
10. मुंबई: ईरान के बंदर अब्बास से मुंबई की करीब 1500 किमी की दूरी अरब सागर में से तय होगी।
अभी रेल मार्ग के बजाय कैस्पियन सागर का सहारा
- रेल मार्ग का काम पूरा नहीं होने के कारण अभी कैस्पियन सागर में वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है।
- रूस के अस्ताखान के सोलियंका पोर्ट से सामान को जहाजों के जरिए कैस्पियन सागर के पार स्थित ईरान के पोर्ट एंजाली तक पहुंचाया जाता है। ये दूरी 1200 किमी है।
- पोर्ट एंजाली से कार्गो को रेल और सड़क दोनों में से किसी के जरिए बंदर अब्बास तक ले जाया जाता है। वहां से सामान को जहाज से मुंबई भेजा जा सकता है।
चाबहार ज्यादा करीब, रेल मार्ग से जुड़ा नहीं
भारत ईरान के चाबहार पोर्ट को विकसित कर रहा है। जिससे इस रूट में दूरी और कम हो सकती है लेकिन हम चाबहार पोर्ट का फायदा नहीं ले सकते सकता है। वजह- चाबहार पोर्ट तक पहुंचने के लिए कोई रेल लाइन नहीं है। तेहरान से जाहेदान सिटी तक रेल लाइन पहले से है लेकिन चाबहार से जाहेदान सिटी तक 1380 किमी रेल लाइन का काम कई वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
नया रूट: 2,101 किमी हिस्सा रूस में, अजरबैजान में 800, ईरान में 3,046 और अरब सागर में 1500 किमी
भारत: पाक.-चीन के गठजोड़ का तोड़ मिलेगा
- भारत को कम लागत वाला नया मार्ग मिलेगा।
- सेंट्रल एशिया, यूरोप में भारत की पहुंच बढ़ेगी। वन रोड, वन बेल्ट प्रोजेक्ट का तोड़ मिलेगा।
- पाकिस्तान से पार के देशों में पहुंच बढ़ेगी।
रूस: प्रतिबंधों के बीच सुरक्षित रूट मिलेगा
- पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से राहत मिलेगी।
- भारत सहित मध्य एशिया के कई बाजार मिलेंगे।
- स्वेज नहर का सुरक्षित वैकल्पिक रूट मिलेगा।
- आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायता।
ईरान: वित्तीय संसाधनों का संकट खत्म होगा
- अमेरिकी प्रतिबंधों के असर को कम करने में मदद।
- आर्थिक संकट से निकलने में सहायता मिलेगी।
- देश में रोजगार के अवसर बढ़ने से फायदा होता।
- अन्य प्रोजेक्ट के लिए रकम जुटाने में मदद मिलेगी।
अजरबैजान: INSTC का 800 किमी का हिस्सा अजरबैजान में है। अजरबैजान प्रोजेक्ट के लिए ईरान को फंडिंग कर रहा है। बाकू शहर को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। उसका कार्गो बिजनेस बढ़ेगा।