अमेरिका और तालिबान की एक डील सामने आई है। इसके लिए कई महीनों से बातचीत जारी थी। डील को प्रिजनर एक्सचेंज यानी कैदियों की अदला-बदली कहा जा रहा है। एक अमेरिकी इंजीनियर दो साल से तालिबान की कैद में था। इसे तालिबान हुकूमत ने रिहा कर दिया है। बदले में अमेरिका ने तालिबान के खूंखार आतंकी, ड्रग स्मगलर और फाइनेंसर को रिलीज कर दिया।
खास बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद इस बारे में जानकारी दी। हालांकि, डीटेल्स देने से वो बचते रहे। तालिबान ने भी प्रिजनर एक्सचेंज की बात तो मानी, लेकिन वो तफ्सील देने से बचता रहा।
कौन हैं ये दो कैदी
अमेरिकी इंजीनियर, जिसे तालिबान ने रिहा किया, इसका नाम मार्क फ्रेरिक्स है। अमेरिका ने जिस तालिबानी को छोड़ा, उसका नाम हाजी बशीर नूरजी है। तालिबान और अमेरिका दोनों ने ही इस एक्सचेंज की पुष्टि कर दी है। हाजी बशीर कई साल से कंधार में ड्रग तस्करी कर रहा था। इसी काले कारोबार के चलते वो 1990 के आसपास बड़ा कारोबारी भी बन गया।
हाजी बशीर नूरजी (बीच में) को अमेरिका ने कई साल तक कैद रखा। वो अब आजाद है।
दो साल तक चली बातचीत
कैदियों की अदला-बदली का सिलसिला दो साल चला। फ्रेरिक्स पहले US नेवी में थे। बाद में अफगानिस्तान में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने लगे। जनवरी 2020 में उन्हें तालिबान ने पकड़ लिया और बंधक बना लिया। इसके बाद से वो अफगानिस्तान की किसी जेल में थे।
दूसरी तरफ, बशीर नूरजी को ड्रग तस्करी के आरोपों में अमेरिका ने 2005 में गिरफ्तार किया था। उसे अमेरिका की किसी जेल में रखा गया था। 17 साल बाद उसे सौदेबाजी की तहत रिहाई मिली है।
मार्क फ्रेरिक्स अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के साथ काम कर रहे थे। (फाइल)
दोनों सरकारों का रुख स्पष्ट नहीं
तालिबान के विदेश मंत्री मुत्तकी ने कहा- हम अमेरिका समेत किसी भी देश से बातचीत के लिए तैयार हैं। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक स्टेटमेंट में कहा- मार्क को लाना जरूरी था। ऐसे फैसले लेने में कठिनाई आती है। मैं इन चीजों को हलके में नहीं लेता।
बाइडेन चाहते है कि अफगानिस्तान में फंसे सभी अमेरिकी नागरिकों को जल्द से जल्द वापस लाया जाए। बाइडेन सरकार ने तालिबान से दोहा में 2020 में पीस एग्रीमेंट (शांति समझौता) किया था। इसमें तालिबान ने अमेरिका से सेना हटाने और अमन बहाली की मांग की थी।
दो साल पहले तालिबान नेता मुल्ला बरादर ने US के साथ दोहा में शांति समझौता किया था।
अफगानिस्तान का पैसा वहां के लोगो के लिए खर्च करेंगे बाइडेन
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद बाइडेन ने अफगानिस्तान के एसेट्स और फंड्स फ्रीज कर दिए थे। यह फंड्स और एसेट्स करीब 9 अरब डॉलर के हैं। इन फंड्स को बाइडेन ने स्विट्जरलैंड के एक ट्रस्ट में डाल दिया है। यह ट्रस्ट अफगानिस्तान के लोगों के लिए काम करेगा। इसमें तालिबान का कोई हिस्सा नहीं होगा। दूसरी तरफ, तालिबान चाहता था कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन यह फंड्स उनके हवाले कर दे। अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
अमेरिका के और भी लोग तालिबान के राज में फंसे
अमेरिका के इंडिपेंडेंट फिल्मकार इवोन शेयरर भी तालिबान की कब्जे में है। वह काबुल में फिल्म बना रहे थे, तभी उन्हें और उनके अफगानी प्रोडूसर को बंदी बना लिया गया। अब अमेरिका इनकी रिहाई के लिए कोशिश करेगा।
दरअसल, पिछले महीने जब अमेरिका ने काबुल में अलकायदा सरगना अल जवाहिरी को मार गिराया था, तब से अमेरिका को डर था कि कहीं तालिबान उसकी कैद में मौजूद अमेरिकी नागरिकों को न मार डाले। हालांकि, तालिबान ने ऐसा कुछ नहीं किया।