भरतपुर के अरौदा गांव के नेशनल हाईवे-21 पर माली, सैनी, कुशवाहा शाक्य, मौर्य समाज का चक्का जाम मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी है। सरकार की तरफ से पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा को आरक्षण की मांग कर रहे माली समाज के लोगों से बात करने के लिए अधिकृत किया गया है। अभी तक समाज की तरफ से कोई प्रतिनिधि वार्ता के लिए नहीं पहुंचा है। कल से माली समाज के लोगों का वार्ता के लिए मंत्री इंतजार कर रहे हैं। उधर, संभागीय आयुक्त सांवर मल वर्मा ने भरतपुर के चार कस्बों में इंटरनेट बंदी को अगले 24 घंटों के लिए बढ़ा दिया है। अब बुधवार सुबह 11 बजे तक इंटरनेट बंद रहेगा।
तीसरे दिन भी लाठी डंडों के साथ नेशनल हाइवे पर जुटे माली-कुशवाहा समाज के लोग।
नेटबंदी बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए बढ़ी
बता दें कि भरतपुर की नदबई , वैर, भुसावर और उच्चैन तहसीलों में 13 जून को इंटरनेट सेवा बंद की थी, जिसे 14 जून से बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया है। अब बुधवार सुबह 11:00 बजे तक इन चार तहसीलों में नेटबंदी रहेगी। समाज की तरफ से 31 मेंबर की कमेटी बनाई गई है। लेकिन वार्ता के लिए कोई नहीं पहुंचा है। सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने वार्ता के लिए न्योता भी भेजा है, लेकिन उसके बाद भी वार्ता के लिए माली समाज की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा है। समाज की तरफ से कोई नेता सामने नहीं आ रहा है जो सरकार से वार्ता करे।
बड़ी संख्या में मौके पर पुलिस बल तैनात। अरौदा गांव में आंदोलन जारी है।
क्या बोले मंत्री विश्वेंद्र सिंह
इस मामले में सरकार की तरफ से अधिकृत हुए मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि ताली दो हाथों से बजती है, लेकिन आज ताली एक हाथ से बजाने की कोशिश हो रही है। माली, सैनी, कुशवाहा शाक्य, मौर्य समाज ने नेशनल हाईवे जाम कर रखा है। आज तीसरा दिन है। सरकार ने अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर लिए, पहले समाज के लोगों का कहना था कि विश्वेंद्र सिंह वार्ता के लिए ऑथराइज नहीं हैं, अब मेरी और संभागीय आयुक्त की ऑथराइजेशन भी आ गई है। आज सुबह वार्ता के लिए समाज के लोग आने वाले थे। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी सैनी ने एक लिस्ट भेजी है। कहा है कि मैंने इन्हें अधिकृत कर दिया है। मैं नहीं आऊंगा वार्ता करने के लिए।
मंत्री विश्वेंद्र सिंह को वार्ता के लिए सरकार ने अधिकृत किया है। मंत्री ने कहा कि बात करने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा।
मंत्री ने कहा कि वार्ता के लिए हम इंतजार कर रहे हैं। अगर इनका व्यवहार ऐसा रहेगा तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। अभी तक हम चुप बैठे हैं। मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि समाज के लोग यहां आएं और वार्ता करें। ताकि हाईवे खुले और लोगों को राहत मिल सके। आगे आपकी बात भी पहुंच सके। समाज का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नेता नहीं है। अगर कोई नेता है उसे बात करने के लिए आना चाहिए। चक्का जाम में बुजुर्ग और महिलाएं बैठी हैं अगर किसी को कुछ हो गया तो उसकी जिम्मेदार कौन लेगा। मेरा उनसे निवेदन है कि जिले में शांति बनाएं, अराजकता फैलाने की जरूरत नहीं है।
माली समाज का महापंचायत।
12 तारीख से जारी समाज का धरना
माली, सैनी, कुशवाहा शाक्य, मौर्य समाज की मांग है कि उन्हें जनसंख्या के आधार पर 12 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। जिसको लेकर वह 33 जिलों में कलेक्टर, तहसील स्तर पर SDM को ज्ञापन दे चुके हैं। जब समाज की मांगों पर गौर नहीं किया तो समाज के लोगों ने 12 जून को चक्का जाम का एलान किया। इससे पहले एक महापंचायत भी की गई। महापंचायत में सरकार का कोई प्रतिनिधि समाज के लोगों से वार्ता करने नहीं पहुंचा तो शाम 4 बजे समाज के लोग नेशनल हाईवे पर आकर बैठ गए और नेशनल हाईवे को पूरी तरह से बंद कर दिया। आज चक्का जाम को तीसरा दिन है।
माली-कुशवाहा समाज की ओर से वार्ता करने के लिए सरकार को दी गई है 31 लोगों की लिस्ट।
क्या है माली-कुशवाहा समाज की मांग
माली-कुशवाहा समाज की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में उनकी जनसंख्या 12 प्रतिशत है। ओबीसी में अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग है। यह मांग सूर्यवंशी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी व माली समाज ने की है। इनका कहना है कि 6 साल से उनकी मांग पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है इसलिए 12 जून का अल्टीमेटम देकर महापंचायत की।
इस आंदोलन के मायने समझें
राजस्थान में अभी 64 प्रतिशत आरक्षण है। इसमें से ओबीसी का हिस्सा 21 प्रतिशत है जिसमें 92 जातियां शामिल हैं। माली समाज भी इनमें शामिल है। लेकिन इन्होंने अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण मांगा है। फिलहाल प्रदेश में ओबीसी को 21 प्रतिशत, एससी को 16 प्रतिशत, ईडब्लूएस को 10 प्रतिशत, एमबीसी को 5 प्रतिशत व एसटी को 12 प्रतिशत आरक्षण हासिल है। माली-कुशवाहा आरक्षण समिति के संरक्षक लक्ष्मण कुशवाहा ने कहा कि मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था में उन्हें नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। इसलिए फुले आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं।
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