प्रदेश के शिक्षा मंत्री के मना करने के बाद भी शिक्षा विभाग ने 21 लाख बच्चों को सर्दी की डाइट गर्मी में खिला दी। सामान्य रूप से कमजोर बच्चों को गुड़-मूंगफली से बनी चिक्की खिलाई गई। इधर, एक्सपर्ट का दावा कर रहे हैं कि यह डाइट बच्चों के लिए मुसीबत बन सकती है। यह तबीयत खराब कर देगी।
भीषण गर्मी में धौलपुर-करौली समेत 12 जिलों के 21.5 लाख कुपोषित बच्चों को हाई प्रोटीन के नाम पर गुड़ और मूंगफली से बनी चिक्की खिला रहे हैं। वह भी थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 1 से 1.5 किलो तक। वहीं, एक्सपट्र्स का कहना है कि यह चीज सर्दियों में खिलाई जानी चाहिए थी। इस समय गर्मी में खिलाने से तो बच्चों की तबीयत ही खराब होगी। क्योंकि कुपोषित बच्चों का पाचन तंत्र पहले ही काफी कमजोर होता है। मामले को लेकर जब शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से बातचीत की तो वह बोले कि मैंने तो मना किया था।
दरअसल, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में राज्य के 7 जिलों में 75% और 5 पिछड़े जिलों में अधिकांश बच्चे कुपोषित पाए गए थे। इनका कुपोषण दूर करने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दिसंबर, 2021 में इन्हें कोई भी हेल्दी आइटम खिलाने के निर्देश दिए गए थे। इस पर राज्य के शिक्षा विभाग ने कुपोषित बच्चों को चिक्की खिलाने का निर्णय किया। इनमें कक्षा 1 से 5वीं के विद्यार्थियों को 1 किलो और छठी से 8वीं के बच्चों को 1.5 किलो चिक्की देना तय हुआ।
यह मात्रा 40 दिन के हिसाब से तय की गई थी। लेकिन, शिक्षा विभाग ने खरीद का आदेश देने में ही 3 महीने लगा दिए। मिड-डे-मील आयुक्त ने राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ (कॉनफेड) को 29 मार्च को चिक्की खरीद कर स्कूलों में सप्लाई करने का आदेश दिया। जबकि 12 मार्च से ही तेज गर्मीं शुरू हो चुकी थी। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में जब गर्मी पीक पर आई तो स्कूलों में चिक्की सप्लाई शुरू हुई।
चूंकि यह सप्लाई 55 दिन यानी 17 मई तक सप्लाई होनी थी। लेकिन, तेज गर्मी की वजह से 11 मई को ही छुट्टियां हो गईं। हालांकि तब तक करीब 98% स्कूलों में चिक्की वितरण हो गया था। लेकिन, छुट्टियां होने के कारण बाकी बचे 2% स्कूलों ने चिक्की की सप्लाई लेने से इनकार कर दिया। इसलिए मिड डे मील आयुक्तालय ने 18 मई को फिर जिला शिक्षा अधिकारियों को चिक्की की सप्लाई लेने और बच्चो में वितरित करवाने का आदेश जारी कर दिया।