वाराणसी ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट आज सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश नहीं हो सकेगी। अभी तक रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। कमीशन की कार्रवाई के लिए अदालत की ओर से नियुक्त असिस्टेंट एडवोकेट कमिश्नर अजय सिंह ने कहा कि आज सर्वे रिपोर्ट जमा करने का आदेश कोर्ट ने दिया था, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं तैयार हो सकी है।
कोर्ट में एप्लिकेशन देकर दूसरे दिन की तारीख देने का अनुरोध करेंगे। सर्वे के दौरान सैकड़ों फोटो और कई घंटे के वीडियो हैं। उन्हें देख-समझ कर रिपोर्ट को तैयार करने में समय लगेगा। उधर, सर्वे रिपोर्ट को लेकर विशेष कमिश्नर विशाल सिंह का दावा है कि आज 12 बजे तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई आज
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सर्वे के खिलाफ मसाजिद कमेटी ने याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में आज 1 बजे इस पर सुनवाई होगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ इस मामले को देखेगी।
बता दें कि 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट फुजैल अहमदी ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण को तुरंत रोकने की याचिका दाखिल की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इससे जुड़ी फाइलें देखी जाएंगी। इसके बाद कुछ फैसला लेंगे।
यह ज्ञानवापी के पिछले हिस्से की दुर्लभ तस्वीरों में से एक है। एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट पेश होने के बाद अदालत अपना आदेश सुनाएगी।
हिंदू सेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची
ज्ञानवापी में सर्वे मामले में अब हिंदू सेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हिंदू सेना ने अर्जी दाखिल करते हुए ज्ञानवापी मामले में मसाजिद कमेटी की याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने और मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में ये अर्जी 16 जून को दाखिल की है। उन्होंने कहा है कि हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत पूजा करने का पूरा अधिकार है। इसलिए हमें अदालत की सहायता करने की अनुमति दी जाए। मसाजिद कमेटी की याचिका अनुकरणीय लागत के साथ खारिज किए जाने योग्य है।
शिवलिंग मिलने का किया गया दावा
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की शुरुआत 14 मई को हुई थी। सर्वे के आखिरी दिन हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। हिंदू पक्ष के दावे पर अदालत के आदेश से उस जगह को सील कर दिया गया है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावे का खंडन करते हुए उसे फव्वारा बताया है। साथ ही, यह भी कहा है कि वह जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। सर्वे के तीसरे दिन की पूरी खबर क्लिक कर पढ़ें
सर्वे के बाद शांति और कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस और प्रशासनिक महकमा अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस और PAC के जवान तैनात हैं।
सर्वे का दूसरा दिन : 15 मई
परिसर के 30% हिस्से का और सर्वे हुआ। इस दिन भी 4 घंटे सर्वे हुआ था। ज्ञानवापी परिसर के ऊपरी बने हुए कमरों, गुंबद, छत और दीवारों की वीडियोग्राफी कराई गई थी। इसके अलावा, दरवाजों की नक्काशी की भी हाई लैंस वाले कैमरे से पिक्चर ली गई थी। सर्वे के दूसरे दिन की पूरी खबर क्लिक कर पढ़ें
सर्वे का पहला दिन : 14 मई
सर्वे के पहले दिन यानी 14 मई को ज्ञानवापी परिसर के 50% हिस्से की वीडियोग्राफी हुई। उस दिन 4 घंटे के सर्वे के दौरान 4 तहखानों को खोला गया था। तहखानों की साफ-सफाई कराई। इसके बाद टीम ने उसकी वीडियोग्राफी करवाई। दीवारों की नक्काशी चेक की। सर्वे के पहले दिन की पूरी खबर क्लिक कर पढ़ें
वाराणसी की रहने वाली इन चार महिलाओं के अलावा दिल्ली की राखी सिंह ने शृंगार गौरी प्रकरण को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
2021 में 5 महिलाओं ने दाखिल की याचिका
दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा के लिए सर्वे कराकर स्थिति स्पष्ट करने की बात भी याचिका में कही गई।
मां शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है। 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था। बाद में सुरक्षा व अन्य कारणों के बंद होता चला गया। अभी साल में एक दिन चैत्र नवरात्र पर शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की अनुमित होती है। मुस्लिम पक्ष को शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन में आपत्ति नहीं है। उनका विरोध पूरे परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने पर है। इसी बात का विरोध वाराणसी कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कर रहे हैं।
इस केस में कब क्या हुआ?
26 अप्रैल 2022 :
5 महिलाओं की याचिका पर करीब आठ महीने तक सुनवाई और दलीलें चलतीं रहीं। 26 अप्रैल को कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे ईद के बाद कराने का आदेश दिया।
6 मई 2022 :
एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने हिंदू-मुस्लिम पक्षों को लेकर सर्वे शुरू किया। इस दिन केवल शृंगार गौरी के विग्रह-दीवारों की वीडियोग्राफी हो पाई। बड़ी संख्या में मुस्लिम मस्जिद में नमाज को आए। हल्का बवाल भी हुआ। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर पर एकपक्षीय सर्वे का आरोप लगाया।
7 मई 2022 :
सर्वे दोबारा शुरू हुआ, वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद में थे। अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था, न ही प्रशासन कोई सहयोग कर रहा था। विवाद बढ़ा तो सर्वे रोक दिया गया और मामला फिर से कोर्ट में चला गया।
9 मई 2022 :
कोर्ट में वादी पक्ष ने कहा- एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं। उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं, ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की अनुमति दी जाए।
10 मई 2022 :
कोर्ट में दोनों पक्षों में बहस हुई, एडवोकेट कमिश्नर के बदलने और दलीलें पेश कीं। मुस्लिम पक्ष ने कुछ और तथ्य देने के लिए 11 मई तक का समय मांगा था। कोर्ट ने 12 मई की तारीख दी। कहा- जरूरत पड़ने पर जज खुद मौके पर जाएंगे।
12 मई 2022 :
कोर्ट ने तहखाने और परिसर के चप्पे-चप्पे के सर्वे का आदेश दिया। कहा अगली सुनवाई 17 मई को होगी। सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। वाराणसी कोर्ट के सर्वे के फैसले को चुनौती दी गई।