ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सामने आया है कि पिछले एक साल से राजस्थान में ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स (टोहो) एक्ट 1994 (42) का उल्लंघन किया गया। सरकार की ओर से एक्ट का उल्लंघन करते हुए तीन प्रमुख कमेटियों का मर्ज कर दो कमेटी में तब्दील कर दिया गया।
2023 में बदलाव किए गए इस एक्ट के बाद 190 से अधिक ट्रांसप्लांट किए गए हैं, वे सभी नियमों के विपरीत हैं। हालांकि अभी भी इन कमेटियों को अलग-अलग प्रारूप में नहीं बनाया गया है और ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में एसएमएस मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया था और फिर यह तय किया गया था।
बड़ा सवाल... दो प्रमुख कमेटियों एडवाइजरी और स्टेट लेवल ऑथराइजेशन कमेटी को एक क्यों किया?
- एडवाइजरी कमेटी; यह सबसे प्रमुख है। हेल्थ सेक्रेट्री का होना जरूरी है। ट्रांसप्लांट वाले कोई भी 2 डॉक्टर (नेफ्रो, यूरो, गेस्ट्रोसर्जन) भी होने चाहिए।
- स्टेट लेवल ऑथराइजेशन कमेटी; एसएमएस प्रिंसिपल चेयरमैन। हेल्थ सेक्रेट्री नॉमिनी, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन नॉमिनी, दो डॉक्टर (ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट नहीं) दो सामाजिक कार्यकर्ता।
- हॉस्पिटल बेस्ड ऑथराइजेशन कमेटी; अस्पताल अधीक्षक (जहां ट्रांसप्लांट होना हो), हेल्थ सेक्रेट्री नॉमिनी, डायरेक्टर मेडिकल एज्युकेशन नॉमिनी, 2 डॉक्टर ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट नहीं हो और दो सामाजिक कार्यकर्ता। (सक्षम अधिकारी के रूप में सरकार की ओर से नियुक्त डायरेक्टर इन सभी कमेटियों की मॉनिटरिंग करते हैं और जिम्मेदारी तय होती है।)
अंग प्रत्यारोपण के नियम भंग होते रहे
- 18 अप्रैल 2023 को एडवाइजरी कमेटी व स्टेट लेवल ऑर्थराइजेशन कमेटी को मर्ज कर एडवाइजरी कम स्टेट लेवल ऑर्थराइजेशन कमेटी बना दी। टोहो एक्ट का सबसे बड़ा उल्लंघन। डोनर व रिसीवर के लिए बनी अलग-अलग कमेटियां निर्णय लेती थीं, वे एक ही कमेटी लेने लगी।
- पहले कमेटी में ऐसे डॉक्टर होते थे, जो ट्रांसप्लांट से जुड़े नहीं थे। इनको दरकिनार कर दिया गया। सदस्यों की संख्या भी कम हो गई। नतीजतन गलत काम करना आसान हो गया।
सरकार ने लिस्ट मांगी, सोटो सुन ही नहीं रहा
सोटो ने अभी सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग को उन डोनर और रिसीवर की लिस्ट नहीं दी है, जिनके पिछले तीन साल में ट्रांसप्लांट हुए हैं। सरकार की ओर से बार-बार निर्देश देने के बावजूद अधिकारी बचाव में लगे हैं।
मालूम हो कि सोटो में भी सरकार को काफी गड़बड़ियों की आशंका है और उन्होंने सोटो के पूर्व चैयरमेन डॉ. सुधीर भंडारी, डॉ. अमरजीत सहित अन्य से भी जबाव मांगा है। एसीएस (हेल्थ) शुभ्रा सिंह के मुताबिक, सोटो की तरफ से अभी डेटा नहीं मिला है। कमेटियों के रिन्यूअल पर अगले सप्ताह निर्णय करेंगे। अभी आचार संहिता की वजह से काम अटके हैं।
- तीनों कमेटियों में एसीएस और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन नॉमिनी होने चाहिए, नहीं बनाए
गुरुग्राम पुलिस ने एसआईटी बनाई, राजस्थान पीछे ही रहा
- राजस्थान की एसीबी, जयपुर पुलिस व गुरुग्राम पुलिस की टीमें जांच कर रही हैं, लेकिन पिछले दो सप्ताह से दलालों तक नहीं पहुंच पाई है।
- गुरुग्राम कमिश्नर विकास अरोड़ा ने शनिवार को एक आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है, जबकि मामला जयपुर से जुड़ा होने के बावजूद यहां एसआईटी नहीं बनी।
- जयपुर पुलिस ने दो केस दर्ज किए हैं। यहां की पुलिस एसएमएस एएओ गौरव सिंह, फोर्टिस के विनोद सिंह, गिरिराज शर्मा, ईएचसीसी के अनिल जोशी और हरियाणा पुलिस द्वारा पकड़े गए डोनर व रिसीवर से सिर्फ पूछताछ ही कर रही है।
क्या है मामला
दरअसल, एसीबी ने एसएमएस हॉस्पिटल में 31 मार्च सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ईएचसीसी हॉस्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा था। टीम ने मौके से 70 हजार रुपए और 3 फर्जी एनओसी लेटर भी जब्त किए थे।
कार्रवाई के बाद एसीबी ने आरोपियों के घर और अन्य ठिकानों पर भी सर्च किया थे। इनकी गिरफ्तारी से खुलासा हुआ था कि फोर्टिस हॉस्पिटल का को-ऑडिनेटर विनोद सिंह भी कुछ समय पहले पैसा देकर फर्जी सर्टिफिकेट लेकर गया था। एसीबी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया था।