राजस्थान में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई और दोनों पार्टियों में खेमेबंदी के बीच आम आदमी पार्टी अपनी जड़ें जमाने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस में सत्ता की लड़ाई जहां सबके सामने है, वहीं बीजेपी में भी अंदरखाने संघर्ष जारी है।
ऐसे में आपसी गुटबाजी के इस संघर्ष को आम आदमी पार्टी एक सुनहरे मौके की तरह देख रही है। यही वजह है कि पिछले दिनों कांग्रेस में सामने आए गहलोत-पायलट के संघर्ष के बाद आम आदमी पार्टी ने खुद को राजस्थान में और ज्यादा सक्रिय कर लिया है।
आम आदमी पार्टी इसी महीने राजस्थान में अपने संगठन का विस्तार करने जा रही है। अगले एक-दो सप्ताह में राजस्थान में आम आदमी पार्टी कार्यकारिणी का गठन करेगी। इसके लिए 7 अक्टूबर को एक समीक्षा बैठक होने जा रही है।
समीक्षा बैठक में सदस्यता अभियान और पिछले 6 महीने में संयोजकों ने जो काम किया उसका एनालिसिस होगा। परफॉर्मेंस के आधार पर राजस्थान में संगठन का विस्तार किया जाएगा।
गुटबाजी से हमारी संभावनाएं बढ़ी : विनय मिश्रा
राजस्थान में आप पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने कहा कि पिछले दिनों कांग्रेस में गुटबाजी साफ तौर पर सामने आ गई। इसके बाद हमें राजस्थान से काफी फोन आने लगे हैं। हमारे सोशल मीडिया अकाउंट्स पर फॉलोअर्स भी तेजी से बढ़े हैं।
इस वक्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों में बड़ी संख्या में लीडरशिप को लेकर भारी संघर्ष की स्थिति है। इसलिए लोगों को दिख रहा है कि कांग्रेस-बीजेपी में अब भविष्य नहीं बचा है। ऐसे में लोग हमारी पार्टी की तरफ रुख कर रहे हैं।
गुजरात के बाद राजस्थान पर पूरा फोकस
मिश्रा ने कहा कि गुजरात चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी का फोकस राजस्थान पर ही होगा। साल 2023 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं। उनमें हमारा फोकस राजस्थान पर सबसे ज्यादा है। उसका बड़ा कारण है यहां नेताओं के बीच सत्ता की लड़ाई।
हम इसी तरह से काम कर रहे हैं कि इनकी आपसी लड़ाई में हमें फायदा मिले। साथ ही वहां दोनों पार्टियों से परेशान हो चुका वोटर अब आप में विकल्प ढूंढ रहा है। गुजरात चुनाव के बाद पार्टी की पूरी टीम राजस्थान में लग जाएगी।
बॉर्डर एरिया में पकड़ मजबूत करेंगे
फिलहाल आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में बीकानेर और उदयपुर संभाग पर फोकस किया है। इसमें बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर जैसे जिले प्रमुख हैं। जो पंजाब के बॉर्डर से जुड़ते हैं। इसके अलावा उदयपुर, सिरोही, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों पर भी फोकस है।
आप नेताओं का कहना है कि ये गुजरात से जुड़े हैं इसलिए यहां अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। इसके अलावा हरियाणा बॉर्डर से नजदीक वाले अलवर और झुंझूनु जिलों पर भी आप का फोकस है। फिलहाल इन जिलों की सीटों पर फोकस कर आम आदमी पार्टी आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है।
8 को होनी थी केजरीवाल की बड़ी रैली
राजस्थान में अपनी संभावनाओं को देखते हुए आप ने 8 अक्टूबर को जयपुर में अरविंद केजरीवाल की अहम रैली प्लान की थी। इसमें मेड इंडिया नम्बर वन मूवमेंट और टाउनहॉल की लॉचिंग की जानी थी। साथ ही एक तिरंगा यात्रा भी होनी थी।
मगर गुजरात चुनाव के चलते फिलहाल इसे स्थगित कर दिया गया। आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि आप को गुजरात में अच्छा अनुभव मिल रहा है। ऐसे में गुजरात चुनाव के बाद यह रैली होगी।
राजस्थान में आम आदमी पार्टी और फोकस
- अगले साल विधानसभा चुनाव और फिर निकाय के चुनावों में भी आप अपने प्रत्याशी उतारेगी।
- अब तक आम आदमी पार्टी के यहां 80 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड मेम्बर हैं।
- यहां प्रभारी विनय मिश्रा और संगठन मंत्री दुष्यंत यादव बड़ा नाम है। विनय मिश्रा दिल्ली में द्वारका सीट से विधायक हैं।
- आप राजस्थान में भी दिल्ली के मॉडल पर ही काम करेगी। इसी मॉडल से दिल्ली और पंजाब में आप ने जीत दर्ज की है।
- खासतौर से मुफ्त बिजली और बेहतर शिक्षा पर काम होगा। राजस्थान में बिजली का संकट ज्यादा है। दरें भी काफी हैं।
- पार्टी का फोकस राजस्थान में कास्ट पॉलिटिक्स के स्थान पर केजरीवाल का चेहरा और दिल्ली मॉडल होगा।
- मार्च 2022 में विनय मिश्रा को प्रभारी बनाए जाने के समय आप सांसद संजय सिंह ने जयपुर में बड़ी सभा की थी।
कांग्रेस-बीजेपी में है चेहरों की लड़ाई
राजस्थान में दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी में गुटबाजी 2023 चुनाव से पहले बड़ा फैक्टर है। कांग्रेस में जहां अशाेक गहलोत और सचिन पायलट के बीच संघर्ष है। वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया, गुलाबचंद कटारिया, ओम बिड़ला, भूपेंद्र यादव जैसे नेता लीडरशिप की दौड़ में हैं। ऐसे में बीजेपी में भी आंतरिक संघर्ष देखने को मिलता रहता है।
2023 में एक दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं नेता
राजनीतिक विश्लेषकों का राजस्थान को लेकर मानना है कि दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी है। ऐसे में जिस भी नेता को अपर हैंड मिलेगा, दूसरा नेता उसे चुनाव में नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। राजस्थान में हुए पिछले उपचुनावों में यह देखने को मिला है। वहीं जिस तरह का संघर्ष देखने को मिल रहा है, बहुत मुश्किल है कि दोनों ही पार्टियों में चुनाव को लेकर एकजुटता देखने को मिले।
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