अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका लाए गए लोग एक साल बाद भी भटक रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने बाइडेन प्रशासन पर अफगानियों से भेदभाव करने का लगाया है। वहां से लाए गए 85 हजार लोगों को सेना के कैंपों के बाद कैलिफोर्निया, टेक्सास समेत दूसरों राज्यों में होटल के तंग कमरों और अस्थाई आवास में पहुंचा दिया गया है। लेकिन इन्हें काम करने की आजादी अभी हासिल नहीं है।
वहीं, रूस के हमलों के बाद यूक्रेन से आ रहे लोगों का दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है। बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन के एक लाख विस्थापितों को सीधे अमेरिका आने की इजाजत दे दी। दैनिक भास्कर से कैलिफोर्निया में अप्रवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले वकील एली बोलोर ने बताया कि टीपीएस के तहत शरणार्थियों को अमेरिका में 18 महीने तक रहने की इजाजत मिलती है। साथ ही वर्क परमिट भी। लेकिन अधिकांश अफगानियों को परमिट नहीं मिला है।
परमिट के लिए अफगानों से मांग रहे 46 हजार फीस, यूक्रेनियों को इससे राहत
फरवरी और मार्च में 4,000 से अधिक यूक्रेनियों के वीजा मंजूर किए गए। इसके तहत यूक्रेन के लोगों को यहां 2 साल तक रुकने की अनुमति दी गई।
एसोसिएशन ऑफ वॉरटाइम एलीज की रिपोर्ट के अनुसार जिन अफगानियों ने 20 साल तक अमेरिका के लिए काम किया और विशेष वीजा मांगा, उनमें से केवल 3% को ही अमेरिका में शरण मिली है। अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सेवाओं के प्रवक्ता मैथ्यू बॉर्के के अनुसार अमेरिका में ह्यूमेनिटेरियन पैरोल (वीजा लेने में असमर्थ लोगों को मानवीय आधार पर अमेरिका में आने की इजाजत) के मामले में भी भेदभाव साफ दिखता है।
46 हजार अफगानियों में 270 के वीजा मंजूर हुए
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद करीब 85 हजार अफगानी नागरिक अमेरिका पहुंचे थे।
जुलाई 2021 के बाद करीब 46,000 अफगानियों ने वीजा के लिए आवेदन किया। महज 270 को मंजूरी मिली। 90% को खारिज कर दिया गया। जबकि फरवरी और मार्च में 4,000 से अधिक यूक्रेनियों को इस योजना में मंजूरी दे दी गई। इसके तहत यूक्रेन के लोगों को यहां 2 साल तक रुकने की अनुमति मिलती है।
वकील ने कहा कि भेदभाव का बड़ा उदाहरण ये है कि अफगानियों से वर्क परमिट के लिए वैक्सीनेशन का सबूत मांगा गया। फटेहाल अफगानियों से इस स्कीम के तहत 46,000 रुपए जमा करने को कहा गया। दूसरी ओर, यूक्रेन लोगों से वैक्सीवेशन के सर्टिफिकेट और फीस चुकाने की कोई बाध्यता नहीं है। उनके आवेदन जल्द निपटाए जा रहे हैं।
तालिबानी धमकी के शिकार अफगानियों के आवेदन भी नामंजूर
डलेस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफगान शरणार्थियों। वर्जीनिया इलाके में 6,000 से अधिक अफगानी आ चुके हैं। यह तस्वीर पिछले साल अगस्त की है।
इराक और अफगानिस्तान वेटरन्स ऑफ अमेरिका के सलाहकार मैट जेलर ने कहा, अमेरिका में दो शरणार्थी सिस्टम हैं। एक अफगानों के लिए। दूसरा यूक्रेन के लोगों के लिए। अफगान हमारे अब तक के सबसे लंबे युद्धकालीन सहयोगी हैं। उनके लिए बेहतर करना चाहते हैं।
अफगानों की मदद करने वाले वकीलों ने बताया कि जिन अफगानियों को तालिबान ने धमकी दी या जिनके साथ मारपीट की, उनके वीजा आवेदन भी मंजूर नहीं किए। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने इन दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया था, उस वक्त अमेरिका ने करीब 79,000 लोगों को वहां से निकाला था। अफगान शरणार्थियों को फिर से बसाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
अश्वेतों ने भी दोहरे मापदंड का आरोप लगाया
अफ्रीकी और कैरेबियाई शरणार्थियों का समर्थन करने वाले वकीलों ने भी अमेरिकी प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। वकीलों के मुताबिक यूक्रेन के शरणार्थी आसान प्रक्रिया के तहत यहां आकर सुविधााएं पा रहे हैं। जबकि अश्वेत शरणार्थियों को सरकार ऐसी व्यवस्था नहीं दे रही है
यूक्रेनी नागरिकों की तुलना में अमेरिकी अफसरों द्वारा अश्वेत शरणार्थियों के साथ लगातार दुर्व्यवहार किया जा रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा।