राजस्थान के पत्थर के साथ ही हुनरबाजों का डंका दुनिया में बज रहा है। अयोध्या में राममंदिर निर्माण से लेकर अबू धाबी में बन रहे पहले हिंदू मंदिर में यहां के कारीगरों की ओर से तराशा गया पत्थर काम में लिया जा रहा है। दुनिया के ऐसे कई मेगा प्रोजेक्ट हैं, जिनकी सुंदरता और मजबूती राजस्थान के पत्थरों व कारीगरों की मेहनत का नतीजा है।
सबसे बड़े अजूबों में शामिल अमर प्रेम की निशानी ताजमहल हो या कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल सभी में यहां से तराशा गया पत्थर काम में लिया गया है। हाल ही में पीएम मोदी ने हैदराबाद में स्वामी रामानुजाचार्य की 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' मंदिर का उद्घाटन किया था। इस मंदिर का फाउंडेशन सिरोही जिले के पिंडवाड़ा के कारीगरों ने तैयार किया गया था। इससे कुछ दिन पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में लगे किलेनुमा दरवाजों को देख पीएम मोदी खुद चौंक गए थे। उन्होंने जालोर के कारीगरों की जमकर तारीफ की थी।
ऐसे कई भव्य निर्माण हैं जिन्हें देखकर लोगों की नजरें ठहर जाती हैं। जब इन्हें बनाने की बारी आती है, तो दुनिया राजस्थान की तरफ ही निहारती है। सैकड़ों सालों से बड़े-बड़े किलों-महलों का निर्माण करते आ रहे कारीगरों की पीढ़ियां आज भी कारीगरी की विरासत को थामे हुए है, जो कहीं और नहीं है। आज स्पेशल स्टोरी में चर्चा उन प्रोजेक्ट्स की जिन्हें राजस्थान के मेहनतकश हाथों ने संवारा है और राजस्थान के ही बेशकीमती पत्थर इनकी चमक और शोभा बढ़ा रहे हैं....।